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भोपाल नगर निगम का क्यों दूर नहीं होता है वित्तीय संकट

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भोपाल

भोपाल नगर निगम अपनी राजस्व वसूली में क्यों पिछड़ रहा है यह एक बड़ा सवाल है जिसका हल अभी तक खोजा नहीं जा सका है। आलम यह है कि निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की तनखा 20 तारीख के बाद ही बट पाती है। जबकि भोपाल नगर निगम के पास 4.25 लाख संपत्तियां है। लेकिन उसकी खुद की आय 400 करोड़ रुपए से कम है। केंद्र व अन्य योजनाओं की आय से 3300 करोड़ रुपए का बजट तय किया हुआ है।

वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर निगम भोपाल सबसे पहले अपने यहां की संपत्तियों की गणना और पूरे खाते खुलवाने की जरूरत है। नगर निगम के पूर्व अपर आयुक्त वीके चतुर्वेदी का कहना है कि भोपाल में इस समय करीब छह लाख संपत्तियां है, लेकिन संपत्तिकर के खाते चार लाख के करीब है। दो लाख खाते खोले जाते हैं और प्रति खाते से संपत्तिकर औसतन 4000 रुपए भी मिलता है तो निगम की खुद की आय में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी होती। ये राशि निगम की बजाय निजी जेबों में जा रहा है।

अवैध होर्डिंग्स से नहीं होती है वूसली
राजधानी में जगह-जगह लगे अवैध होर्डिंग्स निगम के लिये एक बड़ी आय का स्त्रोत बन सकते हैं लेकिन इसके लिये बड़ी इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। निगम ने अभी शहर में कितने यूनीपोल स्वीकृत किये और कितने लग गये इसका सर्वे भी नहीं कराया। ऐसे में इनसे भला किस तरह की वसूली की उम्मीद कर सकते हैं। इससे पहले तत्कालीन कमिश्नर छवि भारद्वाज ने अवैध होर्डिंग्स की सूची बनवा कर उनको काटना शुरू किया था पर उनके जाने के बाद यह मुहिम भी बंद हो गयी।

सरकारी संपत्तियां भी निगम के लिये सिरदर्द
राजधानी में सरकारी संपत्तियों से आने वाला पैसा भी निगम वसूली नहीं कर पाता है। इस संबंध में अगर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए तो इससे भी बेहतर वसूली की जा सकती है। पर इस दिशा में निगम केवल नोटिस देकर ही भूल जाता है। हकीकत तो यह है कि भोपाल के अफसर न संपत्तियों से पूरी वसूली कर पा रहे हैं, न ही केंद्र व राज्य से बड़ी योजनाएं ला पा रहे हैं। ऐसे में कैसे नगर निगम और शहर की सेहत बेहतर होगी समझ सकते हैं।