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विक्रांत की लोकप्रियता और संसाधनों के सामने विधायक यशोदा कही कमजोर तो नही ?

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खैरागढ़

विधानसभा चुनाव 2023 में खैरागढ़ जिले के नजरिये से पहला चुनाव माना जा सकता है। खैरागढ़ के विधायक रहते आकस्मिक देवव्रत सिंह के निधन के पश्चात् मध्यावधि चुनाव मे कांग्रेस पार्टी ने यशोदा वर्मा को टिकट देकर खैरागढ़ की सीट जीतने में कामयाबी तो हासिल की पर खैरागढ़ चुनाव लड़ते वक्त छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जिले की घोषणा करनी पड़ी और जिसे यशोदा वर्मा के विधायक बनते ही पूरा भी किया गया।जिला बनने के बाद खैरागढ़ छुईखदान का पहला विधानसभा चुनाव है।

खैरागढ़ चुनाव के परिदृश्य को देखने पर यह बात तो स्पष्ट नजर आती है कि जिला बनने के पश्चात जो खुशी खैरागढ़ छुईखदान गंडई के लोगों को होनी चाहिए वैसा कुछ नजर नहीं आता पिछले चुनाव में सत्ता सरकार ने यशोदा वर्मा के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी उससे बात नही बनते देख आनन फानन में जिले की घोषणा करनी पड़ी आज भी कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती यशोदा से लोगों को सत्ता की चकाचौंध वाले चुनाव की उम्मीद थी जो दिख नही रही है पहले और अभी के चुनाव मे फीका पन साफ देखा जा जा सकता है। दूसरी ओर खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 73 में भाजपा प्रत्याशी विक्रांत सिंह को पार्टी ने एक बार फिर मौका दिया है। विक्रांत सिंह भाजपा पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता के रूप में हमेशा काम करते रहे है। श्री सिंह के राजनीति की शुरूवात नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में हुई उसके बाद नगर पालिका का अध्यक्ष बना फिर जनपद पंचायत का अध्यक्ष बना उसके बाद जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बना विक्रांत खैरागढ़ विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे है। उसके विरुद्ध कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती यशोदा वर्मा चुनावी मैदान में है। क्षेत्र क्रमांक 73 के मतदाताओं का कहना है कि इस बार विक्रांत सिंह को खैरागढ़ का विधायक बनाना है कही समर्थन कही चुप्पी मतदाताओं मे देखी जा सकती है। भाजपा के छोटे बड़े कार्यकर्ता सभी लोग मिलकर विक्रांत के लिए काम कर रहे है।

विक्रांत के 19 साल के राजनीतिक सफर से विधानसभा की जनता खुश है। इस बार खैरागढ़ विधानसभा में विक्रांत और यशोदा के बीच टक्कर है। क्षेत्र वासियों का कहना है कि विक्रांत के विधायक बनने से खैरागढ़ विधानसभा में विकास की कोई कमी नही होगी विक्रांत प्रचार तंत्र और मैनेजमेंट के मामले में भी आगे है।चुनाव जीतने के लिए पूरी रणनीति के तहत काम कर रहे है। यशोदा वर्मा के प्रति लोगो मे सहानभूति तो है पर आखिर वोटो मे कितना तब्दील होगी ये चुनाव के पश्चात स्पष्ट रूप से समझ आएगा की राजनीतिक पार्टियों के किए जा रहे दावों मे और जनता के मन मे जो है उसके परिणाम ही सब कुछ साफ कर देंगे। बहरहाल चुनाव तो ऐसा होता है की वो करवट किस ओर लेगा इसकी गारंटी कोई नही दे सकता।