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पाकिस्तान में आठ फरवरी को होगा आम चुनाव

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इस्लामाबाद
पाकिस्तान में आम चुनाव की तारीख को लेकर जारी कयासबाजी पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने विराम लगाते हुए आठ फरवरी को मतदान कराने की तारीख को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने गुरुवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात की। इसके बाद तिथि की घोषणा की गई। इसके साथ ही देश में आम चुनाव को लेकर अनिश्चितता खत्म हो गई है। इससे पहले निर्वाचन आयोग के वकील ने शीर्ष कोर्ट से कहा था कि 11 फरवरी को चुनाव कराए जाएंगे।

 पाकिस्तान में अगले साल 08 फरवरी को आम चुनाव कराने पर सहमति जताने के एक दिन बाद पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी)  सुप्रीम कोर्ट को अंतिम मतदान की तारीख से अवगत कराएगा।

चुनावी निकाय और राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी चुनाव की तारीख पर सहमत हुए। जो महीनों की प्रतिक्षा और अनिश्चितता के बाद कल समाप्त हुई। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा ने शीर्ष अदालत के आदेश पर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे।

सुनवाई के दौरान पाकिस्तान चुनाव आयोग ने चुनाव के लिए 11 फरवरी की तारीख प्रस्तावित की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने उसे परामर्श के लिए राष्ट्रपति से संपर्क करने के लिए कहा था। जिसके बाद अगले वर्ष आठ फरवरी को आम चुनाव पर सहमति बनी।
चुनाव आयोग आज सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए), पीटीआई, मुनीर अहमद और इबाद-उर-रहमान द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई में ताजा घटनाक्रम के बारे में शीर्ष अदालत को चुनाव की तिथि पर औपचारिक रूप से सूचित करेगा।
मामले की सुनवाई पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा, न्यायमूर्ति अतहर मिनाल्लाह और न्यायमूर्ति अमीन-उद-दीन खान की तीन सदस्यीय पीठ कर रही है। सुनवाई के दौरान आज पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) मंसूर उस्मान अवान ने पीठ को बताया कि राष्ट्रपति अल्वी और ईसीपी की बैठक के बारे में शीघ्र ही अदालत के समक्ष मिनट्स प्रस्तुत किए जाएंगे।

न्यायमूर्ति ईसा ने कहा, “अच्छा है, हम मामले को फिर आखिर में उठाएंगे।” उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत पहले नियमित सुनवाई करेगा और फिर चुनाव मामले को उठाएगा। इसके एक घंटे के बाद, एजीपी अवान ने राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक के विवरण के साथ चुनाव की तारीख के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त राजा का पत्र पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया। हालाँकि, मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस पर आपत्ति जताई कि अदालत में पेश किए गए रिकॉर्ड से राष्ट्रपति अल्वी के हस्ताक्षर गायब थे। न्यायमूर्ति ईसा ने कहा, “इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करें और फिर हम आपकी बात सुनेंगे। और सुनवाई एक और घंटे के लिए स्थगित कर दी।”

गौरतलब है कि ईसीपी ने पहले निर्वाचन क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन की आवश्यकता का हवाला देते हुए चुनावों से इनकार कर दिया था।
नेशनल असेंबली को उसके संवैधानिक कार्यकाल की समाप्ति से तीन दिन पहले ही भंग कर दिया गया था, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत 07 नवंबर तक असेंबली के विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाने चाहिए, लेकिन साथ ही चुनाव अधिनियम की धारा 17(2) में कहा गया है कि प्रत्येक जनगणना आधिकारिक तौर पर प्रकाशित होने के बाद आयोग निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करेगा। पिछले महीने आयोग ने घोषणा की थी कि चुनाव जनवरी 2024 में होंगे, लेकिन उसने तारीख की घोषणा नहीं की, जिसकी कई कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने आलोचना भी की थी।