Home छत्तीसगढ़ बीजेपी में आकर विधायक चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस की बढ़ाई परेशानी

बीजेपी में आकर विधायक चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस की बढ़ाई परेशानी

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रायपुर.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लगातार झटका लग रहा है। आज फिर कांग्रेस को जोर का झटका लगा है। सरगुजा संभाग के सामरी के विधायक चिंतामणि महाराज ने आज बीजेपी में प्रवेश कर लिया है। बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने उन्हें भाजपा में प्रवेश करवाया। उन्होंने चिंतामणि महाराज को माला पहनाकर भाजपा में घर वापसी कराया। विधायक चिंतामणि महाराज को इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर वो नाराज चल रहे थे।

इस बार कांग्रेस ने सामरी से उनका टिकट काटकर विजय पैकरा को प्रत्याशी बनाया है। इस वजह से वो नाराज चल रहे थे। टिकट कटने से महाराज के बागी तेवर दिख रहे थे और वो भाजपा के संपर्क में थे। बीते रविवार को बृजमोहन अग्रवाल हेलीकाप्टर से कुसमी एवं श्रीकोट पहुंचे थे। चिंतामणी महाराज ने भाजपा में शामिल होने के लिए अंबिकापुर से सांसद प्रत्याशी बनाए जाने की शर्त रखी थी। उन्होंने खुद खुलासा किया था कि बीजेपी उन्हें सांसद का टिकट देने तैयार है।

'महाराज को सांसद का टिकट मिलने का आश्वासन'
दो दिन पहले ही रविवार को महाराज भाजपा के हेलीकाप्टर से रायपुर से कुसमी आए थे। यहां भाजपा के नेताओं ने उनका स्वागत किया था। चिंतामणी महाराज ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि वो भाजपा में जा रहे हैं। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा भी हो रही थी। बीते 7 दिन से उनकी बीजेपी नेताओं से बातचीत चल रही थी। चर्चा थी कि उन्हें सांसद टिकट का आश्वासन मिलने पर ही वो बीजेपी में शामिल होंगे। इसे लेकर विधायक बृजमोहन अग्रवाल से बातचीत भी हुई थी। फिर मामला कुछ दिन के लिए टल गया था। आज मंगलवार को राजमोहनी भवन में आयोजित कार्यक्रम में महाराज ने भाजपा का दामन थाम लिया है। वो अपने समर्थकों के साथ भाजपा में प्रवेश किए।

टीएस सिंहदेव से हुई थी बातचीत
टिकट कटने से नाराज होने की खबरों के बीच चिंतामणी महाराज की डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव से फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं कि महाराज कांग्रेस में ही रहें तो बेहतर है। पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।

बीजेपी से कांग्रेस में आए थे, फिर घर वापसी
चिंतामणि महाराज लगभग 11 साल पहले बीजेपी में थे। भाजपा से उपेक्षित के आरोप पर उन्होंने 2008 में सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा था पर हार गए थे। इसके बाद बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। साल 2013 में उन्हें कांग्रेस ने लुंड्रा से टिकट दिया था और वे विधायक बने। 2018 में दोबारा चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने सामरी से प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार विधायक बने। अब फिर बीजेपी में उनकी घर वापसी हो गई है।

कौन हैं चिंतामणि महाराज?, जिन्होंने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता
चिंतामणी महाराज छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु के बेटे हैं। सरगुजा सरगुजा संभाग समेत प्रदेश भर में उनके समाज के अनुयायी हैं। ऐसे में बीजेपी में उनके प्रवेश करने से सरगुजा संभाग की 6 सीटों पर सीधा असर पड़ सकता है। बीजेपी यहां से आगे हो सकती है। क्योंकि वर्तमान में संभाग की 14 की 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। उनके इस कदम से कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।

चिंतामणि महाराज का सियासी सफर
0- रमन सरकार के पहले कार्यकाल में चिंतामणि 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे।
0- वर्ष 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े पर जीत नहीं पाए।
0- साल 2013 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर सामरी विधानसभा से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने।
0- 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा उन पर भरोसा जताया।
0- उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को हराकर दूसरी बार विधायक बने।
0- उन्हें कुल 180,620 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले थे।