Home हेल्थ सैंपल की सीटी वैल्यू 35 के बराबर या उससे कम तो रिपोर्ट...

सैंपल की सीटी वैल्यू 35 के बराबर या उससे कम तो रिपोर्ट संक्रमित : आईसीएमआर

39
0

जिस सैंपल की सीटी वैल्यू 35 से अधिक होगी उसे कोरोना निगेटिव माना जाएगा
नई दिल्ली।
कोरोना की बेकाबू रफ्तार के बीच आईसीएमआर ने कोरोना की आरटी-पीसीआर जांच के मानक बदल दिए हैं। आईसीएमआर के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया है कि वैश्विक स्तर पर कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव-निगेटिव सायकल थ्रेसहोल्ड (सीटी वैल्यू) के आधार पर होती है। जांच किट बनाने वाली कंपनियों के आधार पर ये मानक 35 से 40 था जिसे बदला गया है।
आईसीएमआर द्वारा किए गए इस बदलाव को लेकर लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रो. विनिता मित्तल ने बताया कि कोरोना सैंपल की आरटी-पीसीआर जांच करते वक्त पैराबोलिक ग्राफ बनता है जिससे सैंपल में वायरल लोड की वैल्यू पता चलती है।
नए नियम के अनुसार अगर सीटी वैल्यू 35 के बराबर या उससे कम है तो उस सैंपल को संक्रिमत माना जाएगा। जिस सैंपल की सीटी वैल्यू 35 से अधिक होगी उसे कोरोना निगेटिव माना जाएगा।
नए नियम के अनुसार अगर सीटी वैल्यू 35 के बराबर या उससे कम है तो उस सैंपल को संक्रिमत माना जाएगा। जिस सैंपल की सीटी वैल्यू 35 से अधिक होगी उसे कोरोना निगेटिव माना जाएगा। आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि पहले सीटी वैल्यू 24 थी जिस कारण इससे अधिक वैल्यू वाले संक्रमित छूट जा रहे थे इससे संक्रमण और अधिक फैल रहा था।
सुपर स्प्रेडर की आसानी से पहचान
विशेषज्ञों का मानना है कि आईसीएमआर द्वारा जो जांच के मानक बदले गए हैं उससे सुप्रर स्प्रेडर की आसानी से पहचान हो सकेगी। जांच में वायरल लोड का मानक अधिक होने से अब उन लोगों को भी संक्रमित माना जाएगा जो पहले पकड़ में नहीं आ रहे थे। संभव है कि इस बदलाव से आने वाले समय में मरीजों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। समय रहते इन मरीजों की पहचान होने से कोरोना की चेन टूटना आसान होगा।
सिग्मोडियल कर्व तय करेगा रिपोर्ट
नए आदेश के अनुसार जिस सैंपल की सीटी वैल्यू खराब सिग्मोडियल कर्व के साथ 35 के बराबर या कम होगी उसकी दोबारा जांच होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सैंपल जांच के दौरान कर्व जितनी जल्दी बनता है उस सैंपल में उतना ही ज्यादा वायरल लोड होता है। ऐसे मरीजों को सुपर स्प्रेडर भी मान सकते हैं।