नईदिल्ली
गाजा पर इजरायल के बढ़ते हमलों के बीच अब युद्ध में ईरान भी कूदता दिख रहा है. ईरान की तरफ से आ रहे हालिया बयानों से ऐसा लग रहा है गाजा पर इजरायल की जमीनी कार्रवाई से पहले ईरान कुछ बड़ा कर सकता है. ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराबदोल्लाहियान ने कहा कि इजरायल को गाजा में जमीनी कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती और अगर वो ऐसा करता है तो उसे नतीजे भुगतने होंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले घंटों में व्यापक स्तर पर कार्रवाई भी हो सकती है.
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातु्ल्ला अली खामेनेई ने कहा कि अगर गाजा में इजरायल के अपराध जारी रहे तो दुनिया भर के मुसलमानों और ईरान के रेजिस्टेंस फोर्स को कोई नहीं रोक पाएगा.
'आने वाले घंटों में शुरू हो सकती है कार्रवाई'
ईरान की सरकारी टीवी से बात करते हुए ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीराबदोल्लाहियान ने कहा कि आने वाले समय में ईरान की तरफ से व्यापक स्तर पर कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
उन्होंने कहा, 'रेजिस्टेंस फोर्स के नेता इजरायली सरकार को गाजा में किसी तरह की कार्रवाई की अनुमति नहीं देंगे. हमारे लिए सभी दरवाजे खुले हैं और गाजा के लोगों के खिलाफ हो रहे युद्ध अपराधों को लेकर हम उदासीन नहीं रह सकते.'
उन्होंने आगे कहा, '(ईरान का) रेजिस्टेंस फोर्स दुश्मन (इजरायल) के साथ लंबे समय तक लड़ सकता है और आने वाले घंटों में हम रेजिस्टेंस फोर्स की तरफ से पूर्णव्यापी कार्रवाई की उम्मीद कर सकते हैं.'
हालांकि, उन्होंने इस बात को लेकर कोई जानकारी नहीं दी कि ईरान इजरायल के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई करेगा और कैसे उसे गाजा में जमीनी कार्रवाई से रोकेगा.
हमास के हमलों पर खामेनेई ने क्या कहा था?
पिछले हफ्ते ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा था कि उनका देश 7 अक्टूबर को इजरायल पर फिलिस्तीन के हमास लड़ाकों के हमले में शामिल नहीं था. लेकिन उन्होंने हमास के हमले में इजरायल को हुई क्षति और उसकी सैन्य और खुफिया हार की सराहना की.
वहीं, खामेनेई के शीर्ष सलाहकार अली अकबर वेलायती ने एक बयान में कहा कि हमास का यह सफल ऑपरेशन निश्चित रूप से इजरायलियों के पतन में तेजी लाएगा और जल्द ही उनका विनाश होगा. उन्होंने कहा, 'मैं इस महान और रणनीतिक जीत पर बधाई देता हूं. मेरी यह बधाई क्षेत्र के समझौता करने वाले लोगों के लिए गंभीर चेतावनी है.'
हमास के हमले के बाद ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा था, 'यह ऑपरेशन … अपने अधिकारों की रक्षा और इजरायल की युद्धोन्मादी और उत्तेजक नीतियों के प्रति फिलिस्तीनियों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. यह फिलिस्तीन के सताए हुए लोगों का आंदोलन है.'
1979 में अपनी स्थापना के बाद से ही इस्लामिक देश ईरान फिलिस्तीनी मुद्दों का बड़ा समर्थक रहा है. शिया बहुल ईरान ने खुद को मुस्लिम दुनिया के नेता के रूप में स्थापित किया है और फिलिस्तीन का मुद्दा उसके लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है. ईरान ये बात भी खुलकर स्वीकार करता है कि वह गाजा पट्टी पर नियंत्रण रखने वाले हमास को नैतिक और वित्तीय सहायता देता है.