लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि अपनी विरासत एवं अतीत को विस्मृत करके कोई समाज-राष्ट्र विकास की बुलंदियों को नहीं छू सकता है। उन्होंने शनिवार को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम के निकट सीजी सिटी में 23 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नौसेना शौर्य संग्रहालय का शिलान्यास किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "अतीत सदैव व्यक्ति एवं समाज के साथ चलता है। अतीत का गौरवशाली क्षण नई प्रेरणा होती है।''
यहां जारी एक अधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, "आज लखनऊ एवं प्रदेश के लिए ऐतिहासिक क्षण है, जब नौसेना शौर्य संग्रहालय के स्थापना की नींव इस नए उभरते क्षेत्र सीजी सिटी में गोमती नदी के तट पर पड़ रही है।" योगी ने यहां पौधरोपण भी किया। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के बच्चों ने राष्ट्रगीत एवं भारतीय नौसेना के बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह उत्तर प्रदेश के जल परिवहन एवं युवाओं के रोजगार की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा, ‘‘40-50 वर्ष पहले गांवों में हम सुनते थे कि नौकाओं से जल परिवहन होता था। जब सड़कों का जाल नहीं था, ट्रेन का प्रभावी आवागमन नहीं था तब एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन एवं वस्तुओं को ले जाने का माध्यम जलमार्ग ही था।''
योगी ने संभावनाओं पर ज़ोर देते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में पर्याप्त जल संसाधन हैं। इन नदियों के माध्यमों एवं क्षमता को देखते हुए उत्तर प्रदेश अपने यहां राज्य जल परिवहन प्राधिकरण के गठन की कार्रवाई को बढ़ा रहा है। प्रदेश के अंदर जल परिवहन की संभावना का उपयोग करते हुए हम किसी भी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा सकेगे।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के पहले 'इनलैंड वाटरवे' से वाराणसी और हल्दिया को जोड़ दिया है, जो क्रियाशील है, अब राज्य का जल परिवहन प्राधिकरण भारत सरकार के प्राधिकार के साथ कार्य करते हुए अपना योगदान देगा तो उत्तर प्रदेश की इस क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
शौर्य संग्रहालय के लिए लखनऊ को चुनने पर आभार जताते हुए योगी ने कहा कि यह युवा पीढ़ी के लिए भारतीय सेना के शौर्य-पराक्रम को जानने का माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा, "यह गौरव का क्षण है कि 34 वर्ष तक भारतीय नौसेना की क्षमता में अभिवृद्धि करके उसकी सामरिक स्थिति को सुदृढ़ करने वाला आईएनएस गोमती सेवामुक्त होने के बाद आज शौर्य संग्रहालय का हिस्सा बनने जा रहा है।"