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शिवपुरी सीएम राइज स्‍कूलों में सुविधाओं का अभाव

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शिवपुरी
 सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए मप्र शासन द्वारा सीएम राइज स्कूल की अवधारणा प्रारंभ की गई, ताकि नए आधुनिक स्कूलों की स्थापना की जा सके और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के बच्चों से मुकाबला कर सके। इसी सोच के साथ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर हर स्कूल में करोड़ों रुपये खर्च किए जाने की योजना तैयार की गई।

इसी क्रम में शिवपुरी में प्रथम चरण में आठ स्कूलों को सीएम राइज स्कूल में परिवर्तित किया गया। इन स्कूलों की स्थापना को तीन साल हो चुके हैं, लकिन अभी तक जिला मुख्यालय सहित अंचल के किसी भी स्कूल में अब तक इंफ्रास्ट्रक्चर तक तैयार नहीं हो सका है। बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा-दीक्षा की बात करना तो बेमानी होगी, क्योंकि स्कूलों की स्थापना के तीन साल बाद भी स्कूलों में कई विषयों के शिक्षक तक मौजूद नहीं हैं।

स्कूलों में अतिथियों के भरोसे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। कुल मिलाकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जो आठ स्कूल पहले स्थापित कर दिए गए हैं, वह अभी तक ‘राइज’ नहीं हो पाए हैं, उससे पहले ही शासन ने खनियाधाना के हायर सेकेंडरी स्कूल बामौरकलां, पिछोर के हायर सेकेंडरी स्कूल मनपुरा, हायर सेकेंडरी एक्सीलेंस स्कूल पिछोर और पोहरी के हायर सेकेंडरी स्कूल बैराड़ को कागजों में तो स्कूलों को ‘राइज’ कर दिया है, लेकिन धरातल पर हालात अभी भी जस के तस हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल के बच्चे निजी स्कूलों के बच्चों से आखिर कब आगे निकल पाएंगे।

न बस की सुविधा और न शुरू हो सकी आधुनिक लैब

सीएम राइज स्कूल की अवधारणा के क्रम में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल लाने और छोड़ने के लिए बसों का संचालन किया जाना था, लेकिन स्थिति यह है कि आठों स्कूलों में से एक भी स्कूल में आज तक बस का संचालन शुरू नहीं हो सका है। अधिकारी तीन साल बाद भी सिर्फ टेंडर और कोटेशन में ही लगे हुए हैं। बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए जिन आधुनिक लैब की स्थापना की बात की गई थी, वह लैब आज तक क्रियांवित नहीं हो सकी हैं। ऐसे में जो चार नए स्कूल सीएम राइज में परिवर्तित किए गए हैं उन स्कूलों में यह सुविधाएं आखिर कब तक चालू हो सकेंगी? इस संबंध में कोई कुछ जवाब नहीं दे पा रहा है।

खेल मैदान तो दूर बाउंड्री बाल ही नहीं

न स्कूल में बच्चों को खेल की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए बेहतर खेल मैदान और खेल शिक्षकों की सुविधाएं देने, शिक्षकों को स्कूल परिसर में ही आवास देने आदि का दावा किया गया है। हालांकि अब तक स्कूलों में सर्वसुविधा युक्त खेल मैदान तो दूर स्कूलों में बाउंड़ी तक का अभाव है। फिलहाल तो पुराने आठ स्कूलों में ही खेल मैदान तैयार हो जाएं तब कहीं जाकर नए स्कूलों में सुविधाएं प्रदान कर पाएंगे।