जबलपुर
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है। बीजेपी ने एमपी में सरकार बरकरार रखने के लिए कई सांसदों को मैदान में उतारा है। ऐसे है सांसद में से एक हैं राकेश सिंह। बीजेपी ने सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम सीट से प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ने पर कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा सीट जीतना कभी-कभी विधानसभा चुनाव जीतने से कम कठिन होता है।
कांग्रेस के तरुण भनोट के सामने बीजेपी के राकेश सिंह
बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश में लगातार कई लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की हैं, जिनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और सतना शामिल हैं। हालांकि वर्षों से इन सीटों पर काबिज सांसदों को अगर लोकसभा क्षेत्रों के भीतर उन विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया जाता है, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, तो उन्हें कांटे की टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। जबलपुर (पश्चिम) सीट को लेकर राजनीतिक पंडितों में यही धारणा बनी हुई है। बीजेपी ने जबलपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद राकेश सिंह को दो बार के विधायक और कमल नाथ सरकार में पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट के खिलाफ मैदान में उतारा है।
जबलपुर जिले की 4 सीटों पर बीजेपी, 4 पर कांग्रेस
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटे हैं। वर्तमान में चार सीटों पर बीजेपी और 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। चार शहरी सीटों में से तीन पर कांग्रेस का कब्जा है, जिनमें जबलपुर (पूर्व), जबलपुर (पश्चिम), और जबलपुर (मध्य-उत्तर) शामिल हैं, जबकि जबलपुर (कैंट) पर बीजेपी का कब्जा है। मध्य प्रदेश की अधिकांश शहरी सीटों की तरह, मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। इसमें कोई 'तीसरी ताकत' दिखाई नहीं देती है।
जबलपुर (पश्चिम) सीट पर वर्तमान स्थिति
वर्तमान में कांग्रेस के तरुण भनोट जबलपुर (पश्चिम) सीट से विधायक हैं। बीजेपी ने 1998 से जबलपुर (पश्चिम) सीट पर कब्जा कर रखा था। तरुण भनोट ने 2013 में बीजेपी के हरेंद्रजीत सिंह 'बब्बू' के खिलाफ 1 हजार से भी कम वोटों के मामूली अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2018 के चुनाव में तरुण भनोट ने अपनी जीत का अंतर 18 हजार से अधिक वोटों तक बढ़ा दिया। ऐसे में आगामी चुनावों में बीजेपी सांसद और प्रत्याशी राकेश सिंह के लिए तरुण भनोट मजबूत चुनौती पेश कर सकते हैं।
बीजेपी प्रत्याशी सांसद राकेश सिंह के सामने क्या होंगी चुनौती?
जबलपुर में एक स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, 'राकेश सिंह ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। असल में उन्हें नहीं पता कि एक विधायक या पार्षद को किस तरह का जन संपर्क रखना होता है। जब लोग या यहां तक कि पार्टी कार्यकर्ता अपनी समस्याएं लेकर उनके पास जाते थे, तो वह अक्सर उनसे कहते थे कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं।' स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा कि घर-घर जाकर हाथ जोड़कर वोट मांगना, उनके या अन्य शीर्ष नेताओं के लिए आसान नहीं होगा, जिन्हें बीजेपी नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारा है।
दूसरी वजह है, जबलपुर (पश्चिम) सीट पर पंजाबी वोटर। यहां करीब 20-22 हजार सिख वोटर हैं। इन वोटर का हरेंद्रजीत सिंह 'बब्बू' को समर्थन है। हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को टिकट न मिलने पर उनके समर्थन में सिख समाज उतर आया है।
जबलपुर (पश्चिम) सीट का चुनावी इतिहास
जबलपुर (पश्चिम) सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो ये सीट 1990 तक कांग्रेस का गढ़ थी। इसके बाद जब आरएसएस नेता सुभाष चंद्र बनर्जी की पत्नी जयश्री बनर्जी ने सीट जीती, तो यह 2013 तक बीजेपी का गढ़ बनी रही। इसके बाद हुए चुनाव में कांंग्रेस के लिए ये सीट तरुण भनोट ने वापस जीती। 1990 के बाद से जयश्री बनर्जी ने दो बार, हरेंद्रजीत सिंह 'बब्बू' ने तीन बार और तरुण भनोट ने दो बार सीट जीत दर्ज की है।