नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका पर आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा, जिसमें ऋण धोखाधड़ी मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दी गई अंतरिम जमानत को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी किया और दंपति से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि उच्च न्यायालय ने गलत धारणा के साथ सुनवाई की कि इस अपराध के लिए अधिकतम सात साल की कैद हो सकती है, लेकिन उसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) पर विचार नहीं किया, जिसके तहत 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
पीठ ने राजू से सवाल किया कि जब यह एक निजी बैंक है, तो आईपीसी की धारा 409 कैसे लागू हुई। इसके जवाब में राजू ने कहा कि बैंक भले ही निजी हो, लेकिन इस मामले में आम लोगों का पैसा शामिल है।
पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है, जिसका जवाब तीन सप्ताह में देना होगा।
बंबई उच्च न्यायालय ने चंदा कोचर और कारोबारी दीपक कोचर को ऋण धोखाधड़ी के एक मामले में नौ जनवरी को अंतरिम जमानत दे दी थी।
अदालत ने गिरफ्तारी ''लापरवाही'' और ''बिना सोचे-समझे करने के लिए'' सीबीआई के प्रति नाराजगी भी जताई थी।
सीबीआई ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक के ऋण धोखाधड़ी मामले में कोचर दंपति को 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था।