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कनाडा: भारत में खालिस्तानी आतंकियों को “पालने-पोसने” वाले सिख को दी शरण !

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टोरंटो
कनाडा का भारत विरोधी चेहरा फिर सामने आया है । कनाडा ने एक ऐसे सिख व्यक्ति को शरण देने का फैसला किया है जिसने भारत में खालिस्तानी आतंकियों के लिए न सिर्फ पाला-पोसा बल्कि फार्म में पनाह भी दी थी। भारत में खालिस्तानी आतंकियों को  एक दशक तक आश्रय और भोजन देने के आरोपी को  कनाडा के इमिग्रेशन ट्रिब्यूनल ने अपने देश में  शरण देने की मंजूरी दे दी है।

कनाडा के आव्रजन न्यायाधिकरण ने फैसला दिया है कि करीब एक दशक पहले ‘‘ भारत में खालिस्तानी आतंकवादियों को आश्रय और भोजन मुहैया'' कराने वाले सिख व्यक्ति को देश में प्रवेश की अनुमति दी जाए क्योंकि उसने ऐसा ‘‘परिस्थितिवश'' और प्रतिशोध की कार्रवाई के डर से किया था। मीडिया में बुधवार को प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी गई। ‘नेशनल पोस्ट'  के मुताबिक आव्रजन और शरणार्थी बोर्ड न्यायाधिकरण सदस्य हैदी वॉर्सफोल्ड ने हालिया फैसले में कहा कि सरकार के पास तार्किक आधार नहीं है कि वह भारतीय नागरिक कमलजीत राम को इस मान्यता के आधार पर कनाडा में प्रवेश करने से अयोग्य करार दे कि उसने खालिस्तानी आतंकवादियों को ‘सुरक्षित आवास' और ‘सामरिक सहयोग' मुहैया कराया था।

अखबार के मुताबिक आव्रजन न्यायाधिकरण ने फैसले में कहा कि करीब एक दशक पहले भारत में सशस्त्र खालिस्तानी आतंकवादियों को ‘‘ आश्रय और भोजन'' मुहैया कराने वाले सिख व्यक्ति को कनाडा में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उसने ऐसा ‘‘परिस्थितिवश' और ‘जवाबी कार्रवाई' के भय से किया था। कनाडा की संघीय सरकार ने राम को देश में प्रवेश करने से रोकने का आदेश मूल आदेश कनाडा सीमा सेवा एजेंसी के अधिकारियों से उसके साक्षात्कार के बाद जारी किया था। राम ने अधिकारियों को बताया था कि उसने 1982 से 1992 के बीच सशस्त्र सिख आतंकवादियों को भारत स्थित अपने खेत में आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया था।

 वॉर्सफोल्ड ने पाया कि सरकार राम द्वारा उस समय सशस्त्र आतंकवादियों के समर्थन संबंधी आकलन में बहुत आगे तक चली गई और उसने इस बात पर गौर नहीं किया कि राम ने बार-बार स्वीकार किया कि उसने हथियारबंद लोगों को आश्रय केवल प्रतिशोध के भय से दिया। यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत और कनाडा के कूटनीतिक रिश्तों में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उस बयान के बाद गतिरोध पैदा हो गया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को खालिस्तानी अलगावादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित' संलिप्तता है। हालांकि, भारत ने बयान को ‘‘बेतुका और प्रेरित' बताकर खारिज कर दिया है। निज्जर की दो नकाबपोश लोगों ने हत्या कर दी थी। भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित किया था।