रायपुर.
भाजपा ने छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए अब तक 85 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है। इसमें दो पूर्व आईएएस अफसर को चुनावी रण में उतारा है। भाजपा ने पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को दूसरी बार मौका देते हुए रायगढ़ से प्रत्याशी बनाया है। वहीं पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम को केशकाल से सियासी मैदान में उतारा है। ऐसा माना जाता है कि ओपी चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं। वहीं टेकाम केशकाल से नए चहरे के रूप में सामने आए हैं। इससे कांग्रेस को केशकाल सीट से झटका भी लग सकता है। फिलहाल, रिजल्ट आने के बाद ही तय होगा कि केशकाल सीट पर किसका परचम लहराएगा।
पूर्व आईएएस ओपी चौधरी रायगढ़ जिले के खरसिया के रहने वाले हैं। चौधरी 22 साल की उम्र में आईएएस बने थे। वो पहले ही प्रयास में सिविल सेवा एग्जाम पास कर लिए थे। वे रायपुर के कलेक्टर भी रह चुके हैं। इसके बाद उन्होंने आईएएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2018 में उन्हें खरसिया सीट से टिकट दी थी, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार भाजपा ने ओपी चौधरी पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर मौका दिया है। उन्हें रायगढ़ विधानसभा से सियासी रण में उतारा गया है। अब देखना ये होगा कि क्या चौधरी बीजेपी के भरोसे पर खरा उतर पाते है या नहीं। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा थी कि चौधरी को चंद्रपुर से टिकट दिया जाएगा। 3 दिसंबर को नतीजा सामने आएगा कि रायगढ़ किसका होगा।
केशकाल से पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम को टिकट
दूसरी ओर केशकाल सीट पर भाजपा ने नए चहरे को मौका दिया है। बता दें कि केशकाल सीट पर पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम को चुनावी रण में उतारा है। ये मूलतः कांकेर जिले के अंतागढ़ के रहने वाले हैं। उनकी कर्मभूमि केशकाल है। वो 2008 बैच के पूर्व आईएएस ऑफिसर हैं। वो कोंडागांव जिले में ढाई साल तक कलेक्टर रह चुके हैं। जिले के अंतर्गत केशकाल विधानसभा में उनकी अच्छी पकड़ है। इसलिए उन्होंने साल 2023 अगस्त महीने में शासकीय नौकरी छोड़कर 3 हजार समर्थकों के साथ बीजेपी का दामन थामा था।
'केशकाल में अच्छी पकड़ का दावा'
भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद टेकाम काफी चर्चा में रहे। उनको केशकाल से टिकट मिलने की चर्चा भी थी। आखिरकार भाजपा ने केशकाल सीट से पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम को उम्मीदवार चुना है। इस सीट पर टेकाम की अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में ये चर्चा है कि इस सीट पर चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा। फिलहाल चुनावी परिणाम आने पर ही फैसला होगा कि केशकाल का सिकंदर कौन होगा।