नईदिल्ली
हमास ने शनिवार तड़के इजरायल पर अचानक बड़ा हमला कर दिया जिससे मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर है. इजरायल पर हमास का यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब इजरायल अमेरिका की मध्यस्थता में सऊदी अरब के साथ शांति वार्ता कर रहा है. हमास के हमले की टाइमिंग को लेकर पूर्व अमेरिकी खुफिया और सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि हमास के हमले का मुख्य उद्देश्य इजरायल और सऊदी अरब के बीच बातचीत में रुकावट पैदा करना था क्योंकि सऊदी इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने के एकदम पास खड़ा था
हमास के आतंकियों ने इजरायल में घुसपैठ कर 200 इजरायलियों की हत्या कर दी और कई लोगों का अपहरण कर लिया है. हमास ने दावा किया है कि इजरायल हमले कर वह यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद और वेस्ट बैंक में इजरायल के हमलों का बदला ले रहा है.
लेकिन पूर्व अमेरिकी खुफिया और सैन्य अधिकारियों का कहना है कि हमास ने इजरायल पर हमला इसलिए किया है क्योंकि वो इजरायल-सऊदी के बीच शांति वार्ता को रोकना चाहता था. अधिकारियों का कहना है कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने ही वाला था जिसे नाकाम करने के लिए हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया.
नेटो के पूर्व कमांडर, सेवानिवृत्त नौसेना एडमिरल जेम्स स्टावरिडिस ने कहा कि हमले के पीछे ईरान है और वो इसके जरिए अपने कट्टर दुश्मन इजरायल पर दबाव डालना चाहता है.
पूर्व अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि जैसे-जैसे अमेरिका, सऊदी और इजरायल की बातचीत आगे बढ़ रही थी, फिलिस्तीन हताश हो रहा है और इस तरह के हमले हो रहे हैं.
इजरायल के विदेश मंत्रा एली कोहेन ने पिछले महीने ही दावा किया था कि 6-7 मुस्लिम देश इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने वाले हैं. उन्होंने दावा किया था कि सऊदी अरब जैसे ही इजरायल के साथ संबंध सामान्यीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करेगा, 6-7 मुस्लिम देश इजरायल के साथ रिश्तों को सामान्य कर लेंगे. इसी बीच हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया है.
'फिलिस्तीन को अनदेखा कर क्षेत्र की सुरक्षा की कामना बेमानी'
गाजा पर नियंत्रण रखने वाले हमास के नेता इस्माइल हानियेह ने अल जजीरा टेलीविजन से बातचीत में कहा कि अरब देशों के साथ समझौते कर इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष को खत्म नहीं कर सकेगा. उन्होंने कहा, 'अरब देशों ने इजरायल के साथ सामान्यीकरण के सभी समझौतों पर हस्ताक्षर किए है लेकिन इससे संघर्ष खत्म नहीं होगा.'
ईरान और ईरान समर्थित लेबनानी समूह हिजबुल्लाह को करीब से जानने वाले एक सूत्र ने कहा, 'यह सऊदी अरब के लिए एक संदेश है जो इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य कर रहा है. यह हमला अमेरिका के लिए भी एक संदेश है जो इजरायल का समर्थन कर रहा है. जब तक फिलिस्तीनियों को अनदेखा किया जाएगा तब तक क्षेत्र की सुरक्षा की कामना करना बेमानी है.'
सूत्र ने आगे कहा, 'जो हुआ वह किसी भी उम्मीद से परे है. आज संघर्ष एक निर्णायक मोड़ पर है.'
हमास के हमले ने अचानक बदल दी मिडिल-ईस्ट डिप्लोमेसी की तस्वीर
डिप्लोमेटिक एडिटर पैट्रिक विंटोर ने अपने एक लेख में कहा है कि हमास के हमले ने मध्य-पूर्व की कूटनीति की तस्वीर अचानक से बदल दी है.
उन्होंने अपने लेख में कहा, 'ईरान का लक्ष्य क्षेत्र को अस्थिर करना है और वो चाहता है कि सऊदी अरब का इजरायल के साथ शांति समझौता लगभग असंभव हो जाए. इसके उलट इजरायल फिलिस्तीनी संघर्ष को कूटनीतिक रूप से कम करके दिखाना चाहता है ताकि यह धीरे-धीरे अप्रासंगिक हो जाए.'
ईरान नहीं चाहता इजरायल और मुस्लिम देशों के बीच कायम हों रिश्ते
पिछले महीने ही एनबीसी न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा था, 'हम अपने क्षेत्रीय देशों और इजरायल के बीच किसी भी द्विपक्षीय संबंध के खिलाफ हैं. हमारा मानना है कि इजरायल क्षेत्र में अपने आप को सुरक्षित करने के लिए क्षेत्रीय देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने का इरादा रखता है.'
कुछ दिनों पहले ही अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब के राजनयिकों ने अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एबीसी को बताया कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, सभी ने एक समझौते के लिए समर्थन जताया है जिसके तहत सऊदी अरब कूटनीतिक रूप से इजरायल को मान्यता देगा.
राजनयिकों का कहना था कि अगर सऊदी अरब इजरायल को मान्यता देने पर सहमत हो गया तो अरब के बाकी देश भी इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश करेंगे. इजरायल के साथ अरब देशों के समझौतों से इजरायल और उसके पड़ोसियों के बीच 1948 से चली आ रही दशकों की शत्रुता खत्म हो जाएगी.
समझौते के लिए तीनों देशों की कठिन शर्तें
हालांकि, तीनों ही देशों ने इस तरह के समझौते के लिए कठिन शर्तें रखी हैं. सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने संकेत दिया है कि इजरायल के साथ शांति समझौते से उनके देश को लाभ होगा इसलिए वो इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता देने को इच्छुक हैं.
हमास के हमले से पहले ऐसी खबरें थीं कि सऊदी अरब ने अमेरिका से कहा है कि अगर वो इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने में मदद करता है तो सऊदी तेल उत्पादन बढ़ाने पर सहमत हो जाएगा. अमेरिकी पिछले दो सालों से सऊदी से तेल उत्पादन बढ़ाने की मांग कर रहा है.
इसी के साथ ही सऊदी अरब ने समझौते के लिए अमेरिका से असैन्य परमाणु कार्यक्रम विकसित करने में मदद की मांग कर दी है. अमेरिकी सीनेट के सदस्य और नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में शामिल कट्टर दक्षिणपंथी नेता सऊदी के इस मांग का सख्त विरोध कर रहे हैं.