रायपुर .
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है. छत्तीसगढ़ में दो फेज में वोट डाले जाएंगे. सूबे में 7 और 17 नवंबर को वोटिंग होगी. छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों के चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को मतगणना के बाद आएंगे. सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), दोनों ही पार्टियां अगले पांच साल तक सरकार चलाने का जनादेश प्राप्त करने के लिए पहले से ही चुनावी मोड में हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भरोसे की सरकार अभियान चला रही है तो वहीं बीजेपी ने भी परिवर्तन यात्राओं के जरिए माहौल बनाने की कवायद की है.
बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभाएं हो रही हैं, पार्टी के उम्मीदवारों की एक सूची भी जारी हो चुकी है. वहीं, सत्ताधारी कांग्रेस उम्मीदवार घोषित करने के मामले में थोड़ा पीछे नजर आ रही है. कांग्रेस सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व की जगह सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रही है. छत्तीसगढ़ में 2018 से 2023 तक सियासी सीन कितना बदला? इसकी चर्चा से पहले नजर डाल लेते हैं 2018 के चुनाव परिणाम पर.
2018 में खत्म हुआ था कांग्रेस का सूखा
2018 के चुनाव में बीजेपी की ओर से डॉक्टर रमन सिंह मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा थे. बीजेपी सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव मैदान में उतरी थी. सूबे में 15 साल से बीजेपी की सरकार थी और डॉक्टर रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री थे. बीजेपी के उलट कांग्रेस ने सीएम फेस के लिए कोई चेहरा आगे किए बिना चुनाव लड़ा. तब छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू जैसे नेताओं ने मिलकर चुनाव अभियान की अगुवाई की और नतीजा ये रहा कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सत्ता से 15 साल का सूखा खत्म करने में सफल रही.
कांग्रेस 43.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 68 सीटें जीतने में सफल रही. 15 साल सरकार चलाने के बाद बीजेपी 15 सीट पर सिमट गई. बीजेपी को 33.6 फीसदी वोट मिले थे. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 7.8 फीसदी वोट शेयर के साथ पांच सीटें मिली थीं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी 3.9 फीसदी वोट मिले थे. बसपा छत्तीसगढ़ चुनाव में दो सीटें जीतने में सफल रही थी.
2018 से कितनी बदल गई है तस्वीर
छत्तीसगढ़ पांच साल बाद फिर से चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. 2018 के चुनाव के मुकाबले देखें तो 2023 में तस्वीर बिल्कुल उलट है. तब विपक्ष में रही कांग्रेस में है और 15 साल की सत्ताधारी बीजेपी इसबार विपक्ष में है. 2018 में नेतृत्व को लेकर जो सवाल कांग्रेस के लिए उठते थे, आज वही सवाल बीजेपी के लिए उठ रहे हैं. छत्तीसगढ़ चुनाव में अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था.
इसबार गठबंधन का गणित बदल गया और अजित जोगी भी नहीं हैं. बसपा ने इसबार गोंगपा के साथ गठबंधन किया है. वहीं, कांग्रेस से भी कई पुराने दिग्गज किनारा कर चुके हैं. टीएस सिंहदेव की नाराजगी की खबरें भी आती रही हैं. बदले हालात में कांग्रेस सत्ता बचाए रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है.