मुंगेली/ शंकर मंदिर के पास स्थित तालाब के हिस्से को पाटकर बनाये जा रहे विशालकाय काम्प्लेक्स को नगर पालिका के पूर्व CMO और कुछ भ्रष्ट और कमीशनखोर जनप्रतिनिधियों ने गुपचुप और अवैध तरीके से अनुमति दे दिया गया हैं। उक्त कॉम्प्लेक्स को तोड़ने की कार्यवाही करने के संबंध में अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता स्वतंत्र तिवारी ने कलेक्टर, CMO सहित अन्य अधिकारियों से शिकायत किया गया था जिस पर कलेक्टर कार्यालय से मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं निर्माण कराने वाले को नोटिस जारी करते हुए 3 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया था, संबंधितों ने बड़े आराम से जवाब पेश किया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने अपना जवाब संक्षिप्त दिया हैं जिसमें उन्होंने लिखा है कि उक्त कॉम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी के द्वारा दी गई थी। CMO मनीष वारे द्वारा इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि कार्यालय से इस काम्प्लेक्स निर्माण की फ़ाइल गायब हैं, इसकी जानकारी जैसे ही मुंगेलीवासियों को हुई तो मुंगेलीवासियों ने कहा कि CMO द्वारा जवाब में फाईल गायब का जिक्र न करने से कई संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न हो रहीं हैं,नपा कार्यालय से फाईल गायब होने के लगभग 35 दिनों बाद भी CMO द्वारा कोई कार्यवाही न करना व थाने में सूचना न देना उनकी निष्क्रियता को दर्शाता हैं साथ ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी में प्रशासनिक क्षमता कमी की बात भी कही गई और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों में कमीशनखोरी की क्षमता अधिक होने की बात मुंगेलीवासियों ने कही।
मुंगेली शहर के साथ-साथ पूरे जिले में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि मुंगेली नगर पालिका कमीशनखोरों और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से लबरेज हैं, एक महीने से ज्यादा हो गए नगर पालिका कार्यालय से तालाब पाटकर बनाये जा रहे कॉम्प्लेक्स की फाईल गायब हैं, पर किसी ने भी थाने में एफआईआर दर्ज नहीं कराई। प्राप्त जानकारी के अनुसार कल नपा में सामान्य सभा की बैठक थी जिसमें भाजपा पार्षद राजकुमार वाधवा ने फाईल गायब हो जाने का मुद्दा उठाया और CMO से जवाब मांगा, तो उसी दौरान कांग्रेस के ही एक नवोदित पार्षद ने अधिकारी का बीचबचाव करते हुए मुद्दे को भटका दिया गया, जो कि बेहद शर्मनाक बात हैं, हो सकता हैं इस पार्षद का कुछ न कुछ स्वार्थ इस काम्प्लेक्स निर्माण से जुड़ा हो जिसे हम बाद में जरूर उल्लेख करेंगे। मीडिया के सामने सुर्खियों में बने रहने के रोग से ग्रसित नगर पालिका के कांग्रेस के ही सबसे वरिष्ठ पार्षद ने कुछ दिनों पहले ही मीडिया के सामने अपने कथन में कहा था कि फाईल गायब मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, साथ ही उन्होंने दावा किया था कि सामान्य सभा की बैठक में उनके द्वारा प्रस्ताव लाकर इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया जाएगा, परंतु इस पार्षद का मुंह बैठक के दौरान बंद हो गया था, मानो इनके होंठ को किसी स्वार्थ ने सील दिया हो, जिससे इस वरिष्ठ पार्षद की जमकर आलोचना हो रही हैं।
आपको बता दे कि 25 जुलाई 2001 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तालाब संरक्षण मामलों में दिए गए गाइडलाइंस व छ.ग.भूमि विकास नियम 1984 के नियम एवं छ.ग. शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर, अटल नगर का पत्र क्र 11930 दिनांक 27.12.2019 के अनुसार किसी भी तालाब या जल स्रोत पर व्यवसायिक या अन्य किसी भी प्रयोजन हेतु अनापत्ति/अनुमति नहीं दिया जा सकता। उसके बाद भी नपा के तत्कालीन प्रभारी CMO द्वारा तालाब पर काम्प्लेक्स निर्माण की अनुमति अवैध तरीके से दी गई, जिसकी शिकायत की गई हैं, जिला कलेक्टर और CMO के द्वारा अगर इस काम्प्लेक्स निर्माण की अनुमति निरस्त कर तोड़फोड़ की कार्यवाही नहीं की जाती हैं तो जानकारी के मुताबिक अपैल माह के पहले या दूसरे सप्ताह में हाईकोर्ट या NGT में याचिका लग सकती हैं।
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