रायपुर
प्रदेश की राजनीति में रायपुर संभाग बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस-भाजपा की ओर से टिकट बंटवारे को लेकर मंथन का दौर जारी है। इनके लिए विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। भाजपा वर्ष-2013 के विधानसभा चुनाव परिणाम को दोहराने और कांग्रेस वर्ष-2018 में मिली प्रतिष्ठा को बचाने के दबाव में है।
2018 में भाजपा को लगा था झटका कब्जा
वर्ष-2013 में रायपुर संभाग की 20 सीटों में से 15 पर भाजपा का कब्जा था, जो 2018 में सिर्फ पांच पर सिमट गया था। वहीं कांग्रेस वर्ष-2013 में मिलीं चार सीटों को बढ़ाकर 14 तक पहुंच गई थी। एक सीट छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) को मिली थी। संभाग में दोनों ही पार्टियों ने प्रतिष्ठा पाने पूरी ताकत झोंक दी है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भाजपा लगातार इस संभाग में कई बैठकें कर चुकी है।
गृहमंत्री अमित शाह कई बार कर चुके है मंथन
भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सात जुलाई 2023 को रायपुर संभाग से चुनावी शंखनाद किया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कई बड़ी बैठकों को ले चुके हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के लिए पार्टी की अपने रणनीति में बड़े बदलाव पर विचार कर रही है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल युवाओं से भेंट-मुलाकात कर चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कई बार आ चुके हैं। राहुल गांधी ने दो सितंबर को यहां बड़ी रैली को संबोधित किया था। आम आदमी पार्टी की तरफ से सुप्रीमो व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जनसभा को संबोधित करते हुए 10 में से नौ गारंटी को लांच किया था।