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छत्तीसगढ़ में अंग प्रत्यारोपण और दान की प्रक्रिया होगी आसान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब आर्गन ट्रांसप्लांट और आर्गन डोनेशन (अंगदान) की प्रक्रिया को आसान बनाने की नितांत आवश्यकता है। इसके लिये राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन यानी स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (सोटो) के गठन से अंग प्रत्यारोपण और अंगदान का रास्ता आसान हो जाएगा। प्रत्यारोपण के लिये आवश्यक आर्गन बैंक का गठन संभव हो सकेगा। इसके साथ ही आर्गन डोनेशन और प्रत्यारोपण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर) की पूरी जानकारी एक जगह मिल जाएगी। राज्य का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलज पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इससे संबद्ध डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल इसके लिये नोडल सेंटर की भांति काम करेगा। राज्य शासन का स्वास्थ्य विभाग बहुत जल्द भारत सरकार के रीजनल कम स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (रोटो-सोटो) एवं नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (नोटो) के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य करने जा रहा है। ये बातें मानव अंग प्रत्यारोपण के राज्य प्रतिनिधि (स्टेट रिप्रेजेंटेटिव ) डॉ. श्रीकांत राजिमवाले ने नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन के बैनर तले एवं स्वास्थ्य संचालनालय छ.ग. शासन द्वारा आयोजित पांच दिवसीय प्रत्यारोपण समन्वयक प्रशिक्षण कार्यक्रम (ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर ट्रेनिंग प्रोग्राम) के दौरान मेडिकल कॉलेज के लेक्चर हाल नं. 6 में कही। डॉ. राजिमवाले ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (सोटो) के गठन हो जाने से सभी शासकीय और गैर शासकीय अस्पतालों में अंगदान एवं अंग प्रत्यारोपण की राहें आसान हो जाएगी। राज्य में ब्रेन डेड मरीजों के अंगों के रखरखाव एवं उनके उपयोग से कई मरीजों को नया जीवन मिल सकेगा। इस दिशा में पहल करते हुए अम्बेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन को सोटो का नोडल आफिसर बनाया गया है। इसके अंतर्गत भविष्य में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण से संबंधित जानकारी, डेटा और अन्य रिकार्ड संरक्षित किये जा सकेंगे जिसकी मॉनिटरिंग नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (नोटो) करेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेते हुए मेडिकल कॉलेज के डीन प्रो. डॉ. विष्णु दत्त ने कहा कि सोटो के गठन के लिये मेडिकल कॉलेज कैम्पस में आवश्यक भूमि, मानव संसाधन एवं अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करना जरूरी है। इसके बाद ही अंगदान की प्रक्रिया कार्यरूप में परिणित हो पाएगी। इसके लिये प्रशासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ ने किया। रीजनल कम स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (रोटो-सोटो) एवं नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन (नोटो) से आयी श्रीमती सुजाता अष्टेकर ने भारत शासन द्वारा अधिनियमित कानून, मानव अंग और ऊतक अधिनियम (ट्रांसप्लांट आफ ह्यूमन आर्गन्स एंड टिशू एक्ट/ थोटा), 1994 के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत इस कानून के मेडिको लीगल पहलूओं के बारे में बताते हुए इसके परिरक्षण और प्रत्यारोपण के तकनीकी पहलूओं के बारे में बताया। अम्बेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन ने मानव अंग और ऊतक अधिनियम 1994 के अनुसार, स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आगेर्नाइजेशन(सोटो) के गठन के लिये अस्पताल की मूलभूत आवश्यकताओं और ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन कमेटी और मेडिको लीगल केस में आर्गन और टिशू डोनेशन की भूमिका पर प्रकाश डाला। आर्गन डोनेशन के बेसिक कंसेप्ट के अंतर्गत कार्डियक डेथ और ब्रेन स्टेम डेथ एवं इससे जुड़े भ्रम के बारे में डॉ. रेखा बरोट ने जानकारी दी। वहीं डॉ. सीजू नायर ने विश्व में सफलतम ट्रांसप्लांट की केस स्टडी पर प्रकाश डाला। डॉ. दिवाकर धुरंधर, डॉ. विनय राठौर एवं राहुल वासनिक ने कार्यक्रम में अंग प्रत्यारोपण में आने वाली समस्याओं एवं उसके निराकरण की जानकारी दी। कल ब्रेन स्टेम डेथ पर क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. सुंदरानी विस्तृत व्याख्यान देंगे। पांच दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन करीब 60 लोगों ने पंजीयन कराया। इस कार्यक्रम में चिकित्सक, नर्सिंग स्टॉफ, ट्रांसप्लांट समन्वयक एवं अन्य मेडिकल प्रोफेशनल्स शामिल हो सकते हैं। पंजीयन पूर्णत: नि:शुल्क है। प्रदेश के ऐसे अस्पताल जो ट्रांसप्लांट शुरू करना चाहते हैं, वे सभी इस कार्यक्रम में शामिल होकर अंगदान एवं अंग प्रत्यारोपण के सभी पहलुओं के बारे में बारीकी से अवगत हो सकते हैं।