बीजिंग इस्लामाबाद
अरुणाचल सीमा पर चीन एक समिट करने वाला है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल होगा। यह भारत की चिंताओं को बढ़ाने वाला है क्योंकि राज्य पर चीन अकसर दावा करता रहा है और भारत इसे अपना अभिन्न हिस्सा मानता है। चीन ने अरुणाचल से लगती सीमा पर तीसरे ट्रांस हिमालय फोरम फॉर इंटरनेशनल कॉपरेशन के आयोजन का फैसला लिया है। चीन ने इस समिट का आयोजन तिब्बती न्यिंगची में करने का फैसला लिया है, जो अरुणाचल की सीमा से लगा हुआ है। इसी सप्ताह होने वाले इस आयोजन के चलते भारत और चीन के रिश्ते और खराब हो सकते हैं।
चीन की ओर से बुलाई गई इस समिट में पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री जलील अब्बास जिलानी भी हिस्सा ले सकते हैं। इसके चलते चीन और भारत के रिश्ते और ज्यादा बिगड़ने की आशंका है। हाल ही में एशियन गेम्स में जाने वाले अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को चीन ने वीजा देने से इनकार कर दिया था। इस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई थी और कहा था कि चीन की बचकाना हरकत से सच्चाई नहीं बदलेगी। इस समिट में चीन और पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान एवं मंगोलिया के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।
तिब्बत में न्यिंगची नाम की जिस जगह पर यह आयोजन होना है, उससे अरुणाचल प्रदेश की दूरी महज 160 किलोमीटर ही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इस समिट में विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी के शामिल होने की पुष्टि की है। मंत्रालय का कहना है कि यह आयोजन 4 से 5 अक्टूबर को होना है। चीन ने ट्रांस हिमालय फोरम की शुरुआत 2018 में की थी और इसका मकसद भौगोलिक कनेक्टिविटी, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना रहा है। हालांकि चीन का एजेंडा इसके जरिए भारत के पड़ोसी देशों को अपने पाले में लाने का भी रहा है।
आखिरी बार इस समिट का फिजिकल आयोजन 2019 में हुआ था। इस तरह 4 साल बाद यह पहला मौका है, जब समिट का आयोजन होगा। खबर है कि पाक विदेश मंत्री जिलानी समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। तिब्बत में चीन का यह आयोजन करना संदेश देने की कोशिश है। इसकी वजह यह है कि तिब्बत पर चीन पहले ही कब्जा जमा चुका है और अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताते हुए वह दावा करता है। बता दें कि खिलाड़ियों को वीजा न देने का भारत ने तीखा विरोध किया था। इसके चलते खेल मंत्री अनुराग सिंह एशियन गेम्स में शामिल होने के लिए चीन नहीं गए और उसकी हरकत पर इस तरह कड़ा विरोध जताया।