मुंगेली/ तालाब पाट अवैध रूप से बन रहे विशालकाय काम्प्लेक्स को अनुमति न देने एवं उसे तोड़ने की कार्यवाही करने के संबंध में अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता स्वतंत्र तिवारी ने शिकायत किया गया था जिस पर कलेक्टर कार्यालय से मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं निर्माण कराने वाले को नोटिस जारी करते हुए 3 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया था, जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों की मेहरबानी के चलते संबंधितों ने बड़े आराम से जवाब पेश किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार CMO ने अपना जवाब संक्षिप्त दिया हैं जिसमें उन्होंने लिखा है कि उक्त कॉम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी के द्वारा दी गई थी। CMO मनीष वारे द्वारा अन्य कोई बात का उल्लेख नही किया गया, साथ ही नगर पालिका से इसकी फ़ाइल गायब हैं इसका भी उल्लेख नहीं किया जिससे कई संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न हो रही हैं।
मुंगेली शहर के मल्हापारा शंकर मंदिर के पास स्थित तालाब के हिस्से को पाटकर अवैध रूप से विशालकाय व्यवसायिक काम्प्लेक्स बनाया जा रहा है, जो मुंगेली के जल और पर्यावरण बचाओ का ढोंग करने वाले तथाकथित संस्थाओं को नहीं दिख रहा, इन संस्थाओं में ऐसे लोग भी हैं जो खुद को ऐसा प्रदर्शित करते हैं मानों उनसे बड़ा कोई पर्यावरण प्रेमी नहीं हैं, तालाब पाटकर बनाये जा रहे कॉम्प्लेक्स मामले में इनकी चुप्पी से ऐसा लग रहा मानों इससे इनका कुछ स्वार्थ जुड़ा हैं।
सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस, छ.ग.भूमि विकास नियम 1984 के नियम एवं छ.ग. शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर, अटल नगर का पत्र क्र 11930 दिनांक 27.12.2019 के अनुसार किसी भी तालाब या जल स्रोत पर व्यवसायिक या अन्य किसी भी प्रयोजन हेतु अनापत्ति/अनुमति नहीं दिया जा सकता।
आपको बता दे कि नगर पालिका से इस अवैध काम्प्लेक्स की पूरी फ़ाइल करीब 32 दिनों से गायब हैं, जिसके कारण जिले में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं, इन्हीं चर्चाओं में सुना गया कि फ़ाइल गायब करवाने में नगर पालिका के ही कुछ भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का ही हाथ हैं वरना 32 दिनों से नपा कार्यालय से फ़ाइल गायब पर सभी मौन क्यों हैं कोतवाली में नगर पालिका द्वारा लिखित शिकायत क्यों नही किया गया। इस सम्बंध में नगर पालिका के cmo और जिला प्रशासन के अधिकारी पत्रकारों के सवालों से बचते दिखाई दे रहे हैं। शिकायतकर्ता ने बताया कि यदि उक्त कॉम्प्लेक्स की अनुमति अगर निरस्त नहीं किया गया और तोडफ़ोड़ की कार्यवाही न की गई तो उच्च न्यायालय में याचिका लगाई जाएगी।