नई दिल्ली
सीडीआईएल सेमीकंडक्टर्स (कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया) ने कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एसपीईसीएस योजना के जरिए नई सेमीकंडक्टर पैकेजिंग लाइनें जोड़ेगी। सेमीकंडक्टर चिप्स तथा घटक निर्माता नई लाइनों के जरिए वार्षिक क्षमता को 10 करोड़ यूनिट तक बढ़ाना चाहते हैं।
कंपनी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उसने पांच करोड़ उपकरणों की सर्फेस-माउंट पैकेजिंग लाइन के साथ इस उत्पादन के पहले चरण की शुरुआत की है। इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर 28 सितंबर को इसका उद्घाटन करेंगे।
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘सीडीआईएल सेमीकंडक्टर (कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया)…भारत सरकार तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इलेक्ट्रॉनिक घटकों तथा अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा (एसपीईसीएस) देने की योजना के जरिए नई सेमीकंडक्टर पैकेजिंग लाइने जोड़ेगी।’’
विज्ञप्ति के अनुसार, सीडीआईएल का मकसद नई लाइनों के साथ अपनी वार्षिक क्षमता 10 करोड़ यूनिट तक बढ़ाना है। सीडीआईएल उपभोक्ता, औद्योगिक, रक्षा, एयरोस्पेस तथा ऑटोमोटिव उद्योगों में वैश्विक ग्राहक आधार के लिए एक सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स सेवा प्रदाता है। विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी के ग्राहक अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, हांगकांग, जापान, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र में फैले हैं।
चीन के अस्पष्ट नियमों, अमेरिका के साथ तनाव से व्यापार प्रभावित: अमेरिकी कंपनियां ने एक सर्वेक्षण में कहा
बीजिंग
चीन में काम करने वाली अमेरिकी कंपनियां प्रौद्योगिकी, व्यापार तथा अन्य मुद्दों पर अमेरिका के साथ तनाव को अपने कारोबार के लिए एक बड़ी बाधा के रूप में देखती हैं। जारी एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई।
शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार निवेश के लिए विदेशी गंतव्य के तौर पर चीन की साख में निरंतर गिरावट आ रही है। हालांकि सर्वेक्षण में शामिल 325 कंपनियों में से दो-तिहाई ने कहा कि उनकी चीन को लेकर रणनीति को बदलने की तत्काल कोई योजना नहीं है।
सर्वेक्षण में शामिल पांच में से एक से अधिक कंपनियों ने कहा कि वे इस साल चीन में अपना निवेश कम कर रही हैं, जिसकी मुख्य वजह अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में अनिश्चितता और चीन में धीमी वृद्धि का अनुमान है।
कुल मिलाकर सर्वेक्षण से पता चला कि पिछले साल की तुलना में धारणा और अधिक खराब हुई है। तब चीन की कोविड-19 वैश्विक महामारी को लेकर चीन की कड़ी नीतियों का असर इन कंपनियों पर पड़ा था। सर्वेक्षण में सामने आया कि इस तरह के व्यवधान प्रमुख वजह थे, जिनका हवाला कंपनियों ने चीन के बाहर अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए दिया।
सर्वेक्षण में शामिल 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चीन में अपने पांच साल के व्यापार दृष्टिकोण को लेकर आशावादी हैं। शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा 1999 में वार्षिक सर्वेक्षण शुरू करने के बाद से यह आंकड़ा अभी तक के सबसे नीचले स्तर पर है।
करीब 10 में से नौ कंपनियों ने बढ़ती लागत को भी एक बड़ी चुनौती बताया। कंपनियों ने भू-राजनीतिक तनाव को एक बड़ी चिंता बताया। उन्होंने कहा कि इसके बाद आर्थिक मंदी आई, जिसने वैश्विक महामारी के बाद एक मजबूत उछाल की उम्मीदों को विफल कर दिया।
अमेरिकी कंपनियां चीन के अधिकारियों से विभिन्न नियमों को स्पष्ट करने का आग्रह भी कर रही हैं। उनका कहना है कि नियमों में बदलाव के कारण ‘ग्रे एरिया’ कंपनियों में इस बात को लेकर अनिश्चित उत्पन्न हो जाती है कि किस चीज की अनुमति है और क्या गैरकानूनी हो सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2023 की पहली छमाही में चीन में विदेशी निवेश में सालाना आधार पर 2.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।