नई दिल्ली
चुनावी साल में अक्सर प्याज नखरे दिखाने लगता है। कभी फसल खराब होने से तो कभी जमाखोरी से। प्याज एक बार फिर रुलाने के लिए तैयार है। इस बार प्याज के दाम अगर उछले तो प्याज व्यापारियों की हड़ताल कारण बनेगी। क्योंकि, महाराष्ट्र के नासिक जिले में 15 एपीएमसी से प्याज खरीदने वाले 500 से अधिक व्यापारियों ने बुधवार यानी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। उन्होंने मंडियों में प्याज की नीलामी में भाग नहीं लेने का फैसला किया है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में उपज की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।
प्याज व्यापारियों के अनुसार दो केंद्रीय सरकारी एजेंसियां – नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) नासिक के किसानों से प्याज खरीद रही हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापारी अपने थोक खरीदारों से जो कीमत वसूलते हैं, उससे कहीं कम कीमत पर एपीएमसी को बेच रही हैं। कुछ व्यापारियों ने कहा कि कीमत में अंतर 500-700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है।
बता दें पिछले सप्ताह के दौरान मुंबई के कुछ हिस्सों में प्याज की खुदरा कीमतें ₹25-30 प्रति किलोग्राम (किलो) से बढ़कर ₹35-40 किलोग्राम हो गई हैं और अगर हड़ताल महाराष्ट्र के अन्य प्याज उत्पादक केंद्रों तक फैलती है तो आपूर्ति और घट सकती है। मुंबई स्थित एक निर्यातक के अनुसार, यह कुछ बड़े व्यापारियों द्वारा जमाखोरी के कारण प्रभावित हुआ है।
एक प्याज व्यापारी क्षितिज जैन ने कहा, "दोनों एजेंसियां अन्य थोक बाजारों में लगभग 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की औसत कीमत पर उपज बेच रही हैं, जबकि देश के सबसे बड़े थोक प्याज बाजार, लासलगांव एपीएमसी में औसत कीमत लगभग 2,000 रुपये प्रति क्विंटल है।"
जैन ने पूछा, “300 रुपये प्रति क्विंटल का भाड़ा और 150 रुपये प्रति क्विंटल के बोर शुल्क को देखते हुए, प्याज की कीमत हमें लगभग 2,500 रुपये प्रति क्विंटल है। हम दूसरे राज्यों में उपज कैसे बेच सकते हैं, जबकि दोनों केंद्रीय एजेंसियां हमसे कम रेट पर प्याज बेच रही हैं?'
नेफेड और एनसीसीएफ दोनों ने पहले चरण में 3 लाख क्विंटल प्याज खरीदा था और वर्तमान में नासिक में 2 लाख क्विंटल अतिरिक्त खरीदने की प्रक्रिया में हैं। नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ के अध्यक्ष खांडू देवरे ने कहा, “हम चाहते हैं कि नेफेड और एनसीसीएफ दोनों अपने बफर स्टॉक को अन्य राज्यों में एपीएमसी के बजाय खुदरा बाजारों में बेचें। हम यह भी चाहते हैं कि केंद्र पिछले महीने प्याज पर लगाए गए 40% निर्यात शुल्क को वापस ले। इसके अलावा, हम बाजार शुल्क को 1 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 50 पैसे करना चाहते हैं।