नई दिल्ली
संसद के विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है। महिला आरक्षण विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा होनी है। कांग्रेस की तरफ से पार्टी संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी बिल पर मुख्य वक्ता होंगी। वह अपने संबोधन में अपने सहयोगी दलों राजद-जेडीयू और सपा की कोटा में कोटा की मांग का समर्थन करती हैं या चुप्पी साधती हैं। इस पर सबकी नजरें टिकी होंगी। संसद के चल रहे विशेष सत्र में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कल इसे सदन में पेश किया था। विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी। आज जब सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होगी, तब इस पर चर्चा की जाएगी।
साल 2008 में जब मनमोहन सिंह की सरकार में इस बिल को पेश करना था, तब राज्यसभा में कांग्रेस की महिला सांसदों की किलेबंदी में तत्कालीन कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज को बिल पेश करना पड़ा था। 6 मई, 2008 को राज्यसभा में 108वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाना था। तब सरकार को राजद, जेडीयू और सपा जैसी पार्टियों के विरोध की आशंका के मद्देनजर सदन में अभूतपूर्व प्रबंधन करना पड़ा था। सरकार को डर था कि कहीं कानून मंत्री पर विरोध करने वाले सांसद हमला न बोल दें, इसलिए उन्हें महिला सांसदों के बीच में बैठाया गया था।
महिला आरक्षण पर ऐतिहासिक विधेयक लोकसभा में पेश होने के बाद लोगों के जेहन में यह सवाल उठने लगा है कि यह कब और कैसे लागू होगा। यदि संसद के दोनों से सदनों से यह कानून पारित हो जाता है तो क्या यह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में लागू होगा। कानून के जानकार बता रहे हैं कि कानून बन जाने के बाद भी आगामी चुनावों में महिला आरक्षण को लागू करने के लिए परिसीमन और जनगणना की जरूरत है। इससे पहले इसे लागू नहीं किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की नेता उमा भारती ने महिला आरक्षण के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संबंधित विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की है। भारती ने इस संबंध में सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया और कहा कि महिला आरक्षण विधेयक में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए।
बिल पारित होने के बाद लोकसभा में होंगी 181 महिला MP
महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद लोकसभा में कुल 181 महिला सांसद हो जाएंगी। बिल का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है। इसमें कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा।