नईदिल्ली
धरती से 50,000 किमी दूर पहुंचे अपने आदित्य ने अपना काम शुरू कर दिया है। जी हां, इसरो ने आज सूर्य के करीब जा रहे आदित्य-एल1 मिशन पर बड़ा अपडेट दिया। ISRO ने बताया, 'आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। STEPS उपकरण के सेंसरों ने पृथ्वी से 50,000 किमी से भी अधिक की दूरी पर सुप्रा-थर्मल और एनर्जेटिक आयनों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है। यह डेटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करता है।' आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। इस अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड के एक हिस्से 'सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर' यानी STEPS उपकरण ने वैज्ञानिक डेटा जुटाना शुरू कर दिया है। स्टेप्स में छह सेंसर होते हैं जो अलग-अलग दिशाओं में स्टडी करते हैं और अति-तापीय और एनर्जेंटिक आयनों को मापते हैं।
पृथ्वी की कक्षाओं के दौरान इकट्ठा किए गए डेटा से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास खासतौर से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
स्टेप्स को 10 सितंबर 2023 को पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक की दूरी पर एक्टिव किया गया था। यह दूरी पृथ्वी के रेडियस के 8 गुने से अधिक के बराबर है, जो इसे पृथ्वी के रेडिएशन बेल्ट क्षेत्र से काफी आगे रखती है। आवश्यक उपकरण की जांच को पूरा करने के बाद डेटा कलेक्शन तब तक जारी रहा जब तक अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक दूर नहीं चला गया।