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अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव तथा शोध संगोष्टी के लिए मेला स्थल में तैयार हो रहा विशाल डोम

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12 से 14 मार्च तक चलने वाले महोत्सव में शामिल होंगे बुद्विजीवी, शोध छात्र तथा बौद्व भिक्षुक
महासमुंद।
जिले के बौद्ध नगरी के नाम से प्रसिद्व सिरपुर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव एंव शोध संगोष्ठी की तैयारी में जोरों पर जारी है। आगामी 12 से 14 मार्च तक आयोजित होने जा रहे सिरपुर महोत्सव में देश के कोने कोने से बुद्विजीवियों व शोध छात्रों के अलावा बौद्ध भिक्षुओं के आने का सिलसिला शुरु हो गया है। सिरपुर महोत्सव के आयोजन समिति छत्तीसगढ हेरिटेज एवं कल्चरल फाउंडेशन के प्रवक्ता डॉ नरेश साहू ने बताया कि महोत्सव को लेकर मेला स्थल में तैयारियां जिला प्रशासन के सहयोग से शुरु हो गया। आयोजन में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढाने के लिए रात्रिकालीन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा। मेला स्थल के मुख्यमंच के लिए विशाल डोम, प्रदर्शनी के लिए स्टॉल, दर्शनार्थियों व प्रतिभागियों के अलावा अथितियों के लिए ठहरने व भोजन की व्यवस्था की जा रही है। आसपास के ग्रामीणों के सहयोग से भंडारे की व्यवस्था की जा रही है। वहीं मेले स्थल पर व्यवस्था के लिए सिरपुर के आसपास के ग्रामपंचायतों को सरपंचों, जनपद व जिला पंचायतों के जनप्रतिनिधियों, विधायक व सांसद सहित सामाजिक पदाधिकारियों को भी निमंत्रण दिया जा रहा है।
डॉ नरेश साहू ने बताया, राजधानी रायपुर से सिरपुर के लिए 5 बसों की व्यवस्था रहेगी। वहीं सिरपुर के दायरे से लगे 20 किमी के हर गांव में एक बस की सुविधा ग्रामीणों के लिए रहेंगी। महोत्सव स्थल में साफ सफाई, बिजली व पानी की सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। आयोजन समिति के मुख्य संयोजक संयुक्त मोर्चा एडवोकेट रामकृष्ण जांगडे के द्वारा अलग-अलग ब्लॉक स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठकों की दौर जारी है। महोत्सव को भव्य बनाने प्रचार-प्रसार के लिए रथ रवाना किया गया है। सिरपुर दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध धरोहर है।15 किलोमीटर में प्राचीन राजधानी फैला हुआ था जो उत्खनन से प्रमाण प्राप्त हो रहा है।सिरपुर में बंदरगाह था जहाँ से दुनिया मे व्यापार होता था। अंतराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय था जहाँ दुनिया भर के छात्र अध्ययन के लिये सिरपुर आते थे। ज्ञातव्य हो कि सफुरा माता का यहाँ जन्म हुआ था जो छत्तीसगढ़ के महान संत सद्गुरु बाबा की अर्धांग्नी हुई।सिरपुर का महत्व और बढ़ जाता क्योंकि सद गुरु बाबा घासीदास का ससुराल था। यहाँ से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर छत्तीसगढ़ पर छत्तीसगढ़ के महान क्रांतिकारी प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह का जन्म भूमि सोनाखान भी स्थिति है। आज से 25 सौ साल पहले सिरपुर के बौद्ध विरासत का सृजन कर्ता छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी जिसे आज अनुसूचित जाति,जन जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के नाम से जाने जाते है इनके पूर्वज इस महान सभ्यता का निर्माण किये थे जो सिंधुघाटी सभ्यता से जोड़कर देख सकते।