Home राजनीति नोटबंदी जैसे गलत फैसले के चलते देश में बढ़ी बेरोजगारी : मनमोहन...

नोटबंदी जैसे गलत फैसले के चलते देश में बढ़ी बेरोजगारी : मनमोहन सिंह

1175
0

प्रधानमंत्री मोदी सरकार पर बरसे पूर्व प्रधानमंत्री सिंह
नई दिल्ली।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। थिंक टैंक राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित एक विकास सम्मेलन का उदघाटन करने के बाद प्रतीक्षा 2030 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि देश में इस वक्त बेरोजगारी चरम पर है, जिसके पीछे कारण साल 2016 में मोदी सरकार की ओर से बिना सोचे-विचारे नोटबंदी के फैसले को लागू करना था, मोदी सरकार के इस कदम ने बेरोजगारी और अस्थिरता को जन्म दिया जिससे असंगठित क्षेत्र तबाह हो गया।
यही नहीं देश के पूर्व पीएम ने कहा कि देश के वित्तीय संकट को छिपाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक अस्थायी उपाय लागू कर रहे हैं, जिसके चलते ऋण संकट पैदा हो सकता है जो कि छोटे और मंझोले (उद्योग) क्षेत्र को प्रभावित करेगा, जिसे रोकना तत्काल प्रभाव से काफी जरूरी है अन्यथा स्थिति और विकट हो जाएगी। उन्होंने राज्य सरकारों से लगातार संवाद नहीं करने के लिए भी केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।
कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था बेहद सुस्त
बता दें कि ये सम्मेलन डिजिटल था, जिसका आयोजन एक दृष्टि पत्र पेश करने के लिए किया गया, जो केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर लेखे-जोखे के प्रारूप को पेश करने के लिए आयोजित किया गया था। मनमोहन सिंह ने कहा कि केरल के सामाजिक मानदंड उच्च हैं, लेकिन ऐसे अन्य क्षेत्र भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है, कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था बेहद सुस्त हो गई है, जिसका असर केरल पर भी पड़ा है।
केरल का पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह से क्षतिग्रस्त
केरल का पर्यटन क्षेत्र से महामारी की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। आईटी क्षेत्र भले ही डिजिटल की वजह से ग्रो कर सकता है लेकिन बाकी क्षेत्रों खासकर पर्यटन को कोरोना ने काफी क्षति फैलाई है। इससे उबरने के लिए हमें एक रणनीति के तहत ही काम करना होगा।
कमजोर वर्गों की एक बड़ी संख्या गरीबी में लौट सकती है
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे समाज के कमजोर वर्गों की एक बड़ी संख्या गरीबी में लौट सकती है, यह एक विकासशील देश के लिए दुर्लभ घटना है। गंभीर बेरोजगारी के कारण एक पूरी पीढ़ी खत्म हो सकती है। संकुचित अर्थव्यवस्था के चलते वित्तीय संसाधनों में कमी के कारण अपने बच्चों को खिलाने और पढ़ाने की हमारी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। आर्थिक संकुचन का घातक प्रभाव लंबा और गहरा है, खासकर गरीबों पर, जिस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।