नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वित्तीय सेवाओं से संबंधित बजट प्रावधानों को कारगर तरीके से लागू करने के बारे में वेबिनार को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय बजट में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार करने और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को मजबूत बनाने का रोड मैप दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के वित्तीय क्षेत्र के बारे में सरकार का विजन बहुत स्पष्ट है। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता जमाकर्ताओं तथा निवेशकों का विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी है। बैंकिंग तथा गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के पुराने तरीके और पुरानी प्रणालियां बदली जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 10-12 वर्ष पहले आक्रामक तरीके से ऋण देकर बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया। देश को गैर-पारदर्शी ऋण संस्कृति से मुक्त करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं। अब एनपीए को छुपाकर रखने के बदले एक दिन के एनपीए की रिपोर्ट करना भी अनिवार्य है।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार व्यवसाय की अनिश्चितता को समझती है। प्रत्येक व्यवसाय निर्णय को गलत इरादे से रेखांकित नहीं किया जाता। ऐसी स्थिति में सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सचेत रूप से लिए गए व्यावसायिक निर्णयों के साथ खड़ी हो। हम यह कर रहे हैं और ऐसा करते रहेंगे। इन्सॉलवेंसी तथा बैंकरप्सी कोड जैसी व्यवस्था ऋणदाताओं तथा ऋण लेने वालों को आश्वस्त कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने सरकार की प्राथमिकताओं को बताया। इनमें सामान्य नागरिक की आय सुरक्षा, गरीबों को कारगर तरीके से सरकारी लाभों की डिलीवरी और देश के विकास के लिए अवसंरचना संबंधी निवेश को प्रोत्साहन शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में किए गए ये सभी वित्तीय सुधार इन प्राथमिकताओं को दिखाते हैं। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में भारत के वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाने के विजन को आगे बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा कि हाल में घोषित नई सार्वजनिक क्षेत्र नीति में वित्तीय क्षेत्र भी शामिल है। हमारी अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और बीमा की संभावनाएं काफी अधिक हैं। इन संभावनाओं को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का निजीकरण, बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति एलआईसी के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक इश्यू की सूचीबद्धता सहित अनेक कदमों की घोषणा की गई है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल बड़े उद्योग और बड़े शहरों से भारत को आत्मनिर्भर भारत नहीं बनाया जाएगा। छोटे उद्यमियों तथा सामान्य लोगों की कड़ी मेहनत से गांवों में आत्मनिर्भर भारत बनेगा। आत्मनिर्भर भारत किसानों तथा बेहतर कृषि उत्पाद बनाने वाली इकाईयों द्वारा बनाया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत हमारे एमएसएमई तथा स्टार्टअप से बनेगा। इसलिए कोरोना काल में एमएसएमई के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई और इन उपायों का लाभ 90 लाख उद्यमों ने उठाया और 2.4 ट्रिलियन रूपये के ऋण प्राप्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनेक सुधार किए हैं तथा कृषि, कोयला तथा एमएसएमई के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोला है।
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