नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा है कि वह विभिन्न परियोजनाओं को लेकर पेड़ों की कटाई को लेकर दिशानिर्देश बनाना चाहता है। कोर्ट ने कहा, वह यह तय करेगा कि किन पेड़ों को काटा जाएगा और कब काटा जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पर्यावरण के लिए पेड़ों के महत्व को देखते हुए कहा, पेड़ों की कटाई को लेकर दिशानिर्देश बनाना जरूरी है। यह तय करना जरूरी है कि किन पेड़ों को काटा जा सकता है और किन्हें नहीं? और कितने वर्षों के बाद पेड़ों को काटा जाना चाहिए?
पीठ ने कहा, तेजी से हो रहे विकास के बीच पर्यावरण का ख्याल रखना भी महत्वपूर्ण है। पीठ ने कहा, हम इस संबंध में विशेषज्ञ कमेटी का गठन करेंगे। कमेटी सिफारिश करेगी कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए पेड़ों के काटने के लिए क्या मापदंड होना चाहिए।
पीठ ने कहा, परियोजना के व्यय में पेड़ों का कीमत भी जोड़ी जानी चाहिए और पेड़ों का कीमत में सिर्फ लकड़ी की कीमत से नहीं बल्कि पर्यावरण में योगदान को भी शामिल किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने ये तमाम बातें पश्चिम बंगाल की रेल ब्रिज परियोजना से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कही।
अगली सुनवाई में गठित हो सकती है कमेटी
पीठ ने मौखिक तौर पर यह भी कहा, कुछ पेड़ों को एक तय समय के बाद नहीं काटा जाना चाहिए। पीठ ने कमेटी के लिए रंजीत सिंह के नाम का सुझाव भी दिया। हालांकि, पीठ ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और याचिकाकर्ता संगठन के वकील प्रशांत भूषण को भी नाम सुझाने के लिए कहा। अगले बुधवार को होने वाली सुनवाई में कमेटी का गठन हो सकता है।
100 किमी तक की परियोजनाओं के लिए आकलन की जरूरत नहीं, ऐसी अधिसूचना रद्द हो
सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए उस नियम पर भी नाखुशी जाहिर की जिसके तहत 100 किमी तक की सड़क परियोजनाओं के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) की आवश्यकता नहीं है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि इस अधिसूचना को निरस्त कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा कि सरकार को सड़क मार्ग की जगह रेल व जल मार्ग की संभावना तलाशने पर जोर देना चाहिए।
हाल ही में एक विशेषज्ञ समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने पेड़ों का मूल्यांकन कर पिछले दिनों एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पेड़ का आर्थिक मूल्य एक वर्ष में 74,500 रुपये होता है। पेड़ जितने साल पुराने हों, उसके आर्थिक मूल्य को हर साल 74,500 रुपये से गुणा किया जाना चाहिए।