मुंगेली/ वृक्ष के बिना मानव जीवन की कल्पना नही की जा सकती…वृक्षारोपण हमारे मानव जीवन के साथ-साथ वन्यप्राणियों और प्रकृति के संतुलन के लिये बहुत ही आवश्यक है, वृक्ष है तो ही मानव जीवन संभव है वरना बिना वृक्ष के मानव जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती। प्रदेश के प्रायः सभी जिलों में वृक्षारोपण करने हेतु विभागों और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ आम जनता का भरपूर सहयोग लिया जाता रहा है।
प्रदेश में हरियर छत्तीसगढ़ अभियान की शुरूवात 3 अगस्त को शुरू हुआ है, जिसके चलते प्रदेश भर में दस करोड़ पेड़ लगाने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2015 का हरियर छत्तीसगढ़ वृक्षारोपण का महा-अभियान दिनांक 3 अगस्त से शुरू हो गया था. अभियान के प्रथम दिवस पर सावन महिने में प्रथम सोमवार को नया रायपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में दो करोड़ पौधे लगाने के संकल्प के साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया था. यहां पे स्मरण कराना अत्यंत आवश्यक है कि हरियर छत्तीसगढ़ अभियान का पहला पौधा कल्प-वृक्ष देश के भारत रत्न अलंकरण से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम से लगाया गया था। और कल्प-वृक्ष का यह पौधा प्रकाश जावड़ेकर ने लगाया था, उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रूदाक्ष का पौधा लगाया था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण को गंभीरता से लेते हुये अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हरित-भारत के सपने को साकार करने के लिये 10 करोड़ पेड़ लगाने का अभियान प्रारंभ किया है।
हम यहां सबसे गंभीर विषय पर चर्चा करना चाह रहे है, कि जिस गति से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हरियर छत्तीसगढ़ के अंतर्गत राज्य स्तरीय वन महोत्सव का आयोजन प्रत्येक जिले में करने की योजना बनाई थी, उस पर मुंगेली वन विभाग व जिला प्रशासन निकम्मा साबित हुआ है। वन महोत्सव 2015 के अंतर्गत मुंगेली वन विभाग के द्वारा दिनांक 03 अगस्त 2015 दिन सोमवार को राज्य स्तरीय वृहद वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें वन विभाग से प्राप्त जानकारी से अनुसार 5335 की संख्या में पौधा लगाया जाना था,,,यह आयोजन दो स्थानों में किया जाना था पहला सुबह 10 बजे मंडी प्रांगण और सुबह 11 बजे साईंस कॉलेज मुंगेली में। इस कार्यक्रम में तत्कालीन मंत्री, अधिकारीगण, जनप्रतिनिधिगण, नेतागण व पत्रकारगण भी उपस्थित थे। सबसे पहले कृषि उपज मंडी प्रांगण में इन अतिथियों और अधिकारियों द्वारा जो पौधारोपण 3 अगस्त 2015 को किया गया उसकी आज की क्या स्थिति है कोई भी जाके देख सकता है यहां केवल अतिथियों के बड़े-बड़े नेम प्लेट दिखेंगे जो यहां किये गये वृक्षारोपण की दर्द बयां कर रहे है है और जो पौधे वे लगाये थे उनका नामोंनिशान तक नही है। प्रशासन व संबंधित विभाग उसमें फेरबदल कर दूसरा नया पौधा लगाने की संभावना बिलकुल बनी हुई है ? 3 अगस्त 2015 को ही विज्ञान महाविद्यालय के परिसर में वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण आयोजित कर हजारों की संख्या में पौधा तो लगा दिया गया पर उसकी देखभाल करने व उसे पानी देने के लिये किसी को अधिकृत करना उचित नही समझा, कई महीनों बाद कामचलाउ चारों ओर गुणवक्ताहीन तार लगाये गये जा कई जगह से टूट चुके है। तत्कालीन मंत्री पुन्नूलाल मोहले, तत्कालीन कलेक्टर, तत्कालीन सीईओ, तत्कालीन वन मंडलाधिकारी, नगर पालिका के जनप्रतिनिधिगण, व जनपद व जिला पंचायत के जनप्रतिनिधिगणों सहित कई स्कूली बच्चों को बुलवाकर वृक्षारोपण को औपचारिकपूर्वक संपन्न करा दिया गया उसके बाद किसी ने भी दुबारा इस लगाये गये पौधौं का जाकर उसकी स्थिति जानने की कोशिश नही की। क्या ये अपने आप में शर्मनाक वाली बात नही है, क्या ये मंत्री, नेता और अधिकारी केवल अखबारों की सुर्खियों में छाये रहने के लिये ही यह ढ़ोग करते है, अगर ऐसा है तो यह बहुत ही निंदनीय है। समाचार प्रकाशित होने के बाद कुछ पौधे वन विभाग के द्वारा फिर से लगा दिया गया और रोपित पौधों की संख्या तीन हजार वाला नया बोर्ड लगा दिया गया…परंतु अभी वर्तमान में लगभग एक दर्जन पौधे बस जीवित है… जो कि वन विभाग और जिला प्रशासन के साथ-साथ फोटो खिंचवाने वाले नेताओं और जनप्रतिनिधियों के लियें शर्मनाक बात है। हो सकता है यह समाचार देख फिर से वन विभाग जाग जाये और अपनी गलती छिपाने चुपचाप वहां फिर पौधा लगा दे ? वन विभाग से जब इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो पौधों की संख्या में बहुत ही ज्यादा भ्रामक उत्पन्न करने वाली जानकारी उन्होंने दी।फिर इस बार के मानसून में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा वृक्षारोपण के नाम पर फोटो खिंचाने नौटंकी की जा सकती है