नई दिल्ली। नकली बिलिंग के खतरों का मुकाबला करने के लिए चल रही पहल के तहत, केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) आयुक्त कार्यालय, उत्तरी दिल्ली के अधिकारियों ने व्यापक डेटा विश्लेषण के जरिए प्राप्त खुफिया जानकारी के आधार पर,कई लाभार्थियों को वस्तु–रहित चालान और नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट जारी करने वाले काल्पनिक फर्मों के एक नेटवर्क का खुलासा किया है। इन सभी मामलों में, चार व्यक्तियों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1) के तहत अपराधों के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69(1) के संदर्भ में तीन अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया।इन तीन मामलों में कुल 178 करोड़ रूपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट शामिल है। इन सभी मामलों में आगे की जांच प्रगति पर है और इस धोखाधड़ी मेंशामिल फर्जी क्रेडिट की राशि और कंपनियों / व्यक्तियों की कुल संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। पहले मामले में, धोखाधड़ी के मुख्य साजिशकर्ताओं द्वारा मुख्य रूप से 14 अन्य फर्मों को 54 करोड़ रुपये के आईटीसी जारी करने के लिए चार बिना अस्तित्व वाले फर्म बनाए गए थे। ये फर्में न केवल कमीशन के आधार पर वस्तु – रहित चालान जारी करने में शामिल थीं, बल्कि सामानों के निर्यात पर आईजीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए भी इस तरह के चालान का उपयोग करती थीं। इन सभी फर्मों के मुख्य संचालक विकास गोयल और गोपाल अग्रवाल ने फर्जी फर्मों के इस जाल को चलाने में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है और उन्हें 12 .02.2021 को गिरफ्तार किया गया।
दूसरे मामले में, जांच से पता चला कि मोहिंदर कुमार नाम के एक व्यक्ति ने अपनी दो फर्मों, मेसर्स वीएमडब्ल्यू एंटरप्राइजेज और मेसर्स बहादुर स्टील कंपनी, में 111 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट कई फर्जी फर्मों से प्राप्त किए और इस क्रेडिट को कई अन्य फर्मों को माल की बिना वास्तविक आपूर्ति के जारी किया गया। मोहिंदर कुमार को 13.02.2021 को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह के एक अन्य मामले में, मैसर्स वीडीआर कलर्स एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और ए.वी. मेटल्स मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और मैसर्स सुरेंद्र कुमार जैन के प्रोपराइटर सुरेंद्र कुमार जैन बिना अस्तित्व वाले फर्मों द्वारा जारी वस्तु – रहित चालानों की बदौलत 13 करोड़ रुपये की अनुचित आईटीसी प्राप्त करने के अपराध में लिप्त पाए गए। सुरेंद्र कुमार जैन को भी 13.02.2021 को गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपियों को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने के बाद से, केन्द्रीय कर, दिल्ली जोन ने 3,969.65 करोड़ रुपये से अधिक राशि की जीएसटी की चोरी के विभिन्न मामलों में 25 गिरफ्तारियां की हैं।