परिसीमन को लेकर लगी याचिका हाइकोर्ट में खारिज
भिलाई। भिलाईवासियों के लिए लंबे समय से चल रहे परिसीमन विवाद के अटकलों पर हाईकोर्ट ने विराम लगा दिया। इसके साथ ही नगर निगम भिलाई में अब चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही शहर की राजनीतिक फिजा में गरमाहट भर आई है।
हाई कोर्ट के जज ने मंगलवार सुबह अपना फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को खारिज कर दिया है। पूर्व में 70 वार्डों का जो परिसीमन किया गया था, उसे सही बताते हुए हाईकोर्ट ने उसे यथावत रखने के फैसला सुनाया है। इसके साथ ही अब राज्य सरकार चुनाव प्रक्रिया पूरी करेगी। जल्द ही वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया शुरू करके जिला कलेक्टर द्वारा चुनाव आयोग की जानकारी दी जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनाव प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाएगी ताकि नगर पालिक निगम रिसाली व भिलाई-चरोदा नगर निगम के साथ भिलाई नगर निगम का भी चुनाव हो जाएं।
बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा किए गए परिसीमन को छग नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और वार्डों का विस्तार नियम 1994 के विपरीत, पूरी तरह अवैधानिक और व्यक्ति विशेष को राजनीतिक फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए पार्षद रिंकू राजेश प्रसाद, पार्षद पीयूष मिश्रा, वशिष्ठ नारायण मिश्रा, शाहीन अख्तर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी और जय प्रकाश यादव ने संयुक्त रूप से से न्यायालय में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि परिसीमन के प्रारंभिक प्रकाशन में चार वार्ड के नाम नहीं थे। सीधे अंतिम प्रकाशन में चार नए वार्ड दर्शा दिया गया। वहीं जो वार्ड प्रारंभिक प्रकाशन में दिखे, अंतिम प्रकाशन में उनका उल्लेख नहीं मिला। निगम क्षेत्र के चार जनगणना ब्लॉक के गायब हो जाने का आरोप लगाकर याचिका में परिसीमन को विसंगति पूर्ण बताया गया था। उन्होंने परिसीमन को खारिज कर नए सिरे से दोबारा कराए जाने की मांग की थी। इस मामले में चली लंबी सुनवाई के बाद पिछले माह 27 जनवरी को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 8 फरवरी को हाईकोर्ट ने इस मामले में 9 फरवरी को फैसला सुनाने की बात कही थी और आज सुबह इसका फैसला आ गया।
00 नहीं हो पाया वार्ड आरक्षण :
रिसाली नगर निगम का गठन के बाद 13 वार्ड को भिलाई निगम से रिसाली निगम में शामिल किया गया था। इसके बाद नगर निगम भिलाई के शेष बचे 57 वार्डों का परिसीमन किया गया। जिसके आधार पर 70 वार्ड बने। भिलाई निगम के परिसीमन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई जिसके कारण महापौर व पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लेकर संशय की स्थिति थी। इस बीच रिसाली नगर निगम, भिलाई चरोदा नगर निगम सहित अन्य निकायों में वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। वहीं हाईकार्ट में मामला होने के कारण भिलाई निगम के वार्डों का आरक्षण रोक दिया गया था।