कोड़ाभांटा की अटलआवास कॉलोनी, कह रही भ्रष्टाचार की कहानी..
रायगढ़। गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए सरकार द्वारा नित नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। वहीं धरातल पर देखें तो ज्यादातर योजनाएं या तो फाईलों तक ही रहती हैं या फिर आधी-अधूरी रह जाती हैं।
खरसिया के समीपस्थ ग्राम गीधा-कोड़ाभांटा में करोड़ो की लागत से लगभग 252 परिवारों के लिए अटल-आवास योजना के अंतर्गत कालोनी का निर्माण हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से किया गया था। बाकायदा हजारों गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों से फॉर्म भरवाए गए, लॉटरी सिस्टम से लोगों का नाम चयन किया गया। राज्य सरकार ने कालोनी निर्माण के लिए पहले 50000 की सब्सिडी भी हितग्राहियों को दी गई एवं बाकी की राशि 110000 रु बैंक से लोन दिया गया।
विकास कार्यों के लोकार्पण के दौरान तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के द्वारा हितग्राहियों को मकानों की चाबी भी दी गई। उन हितग्राहियों को क्या मालूम था कि जिन मकानों की चाबी वो ले रहे है उन मकानों में न तो खिड़की है न ही दरवाजे ही।
आपको बताएं कालोनी के लिए 50 लाख से अधिक की राशि खर्च करके सड़क एवं बिजली के लिए खम्बे लगाए गए थे। जिसमें ठेकेदार एवं अधिकारी तो जरूर मालामाल हो गए, परंतु यह कालोनी हितग्राहियों के रहने से पहले ही पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है। ऐसे में बिना किसी प्राप्ति के हितग्राही बैंकों के कर्जदार बन गए हैं।
आखिर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों ठेकेदारों के विरुद्ध कोई कार्यवाही होगी या फिर अपने सपनों के घर की बाट जोह रहे लोगों को सिर्फ चाबियों से संतोष करना पड़ेगा। नई सरकार के गठन के बाद जिम्मेदार अधिकारियों पर लगाम कसी जाएगी, यही उम्मीद अब हितग्राहियों का आसरा बनी हुई है।
इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन अभियंता सहित अन्य अधिकारी, कोई भी जानकारी देने से कतरा रहे हैं। बड़े स्तर पर किए गए भ्रष्टाचार एवं लापरवाही का मुद्दा समझते ही जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारी भी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। हर कोई इस जिन्न से बचना चाहते हैं।