नई दिल्ली। राष्ट्रपति कोविंद के अभिभाषण के बाद से संसद का बजट सत्र औपचारिक तौर पर प्रारंभ हो जाएगा। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने कृषि कानूनों, किसान और उनके एमएसपी से लेकर कोरोना तक पर खुलकर अपने विचार रखे। राष्ट्रपति ने लाल किले पर हिंसा की निंद की। राषष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना काल में मोदी सरकार के फैसलों की वजह से लाखों लोगों की जानें बचीं। कृषि कानूनों को बेहतर बताते हुए कहा कि इन कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं दी है और नए अधिकार भी। गणतंत्र दिवस के दिन लाल किला कांड को उन्होंने अपमान और दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि हमें कानून का पालन करना चाहिए। कोरोना की तरफ इशारा करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा। भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। मगर मुझे संतोष है कि मेरी सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिकॉर्ड आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ ही मेरी सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि किसी गरीब को भूखा न रहना पड़े। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और अपने घर से दूर रहने वाले लोगों की भी चिंता की। महामारी के दौरान
गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 50 करोड़ मैन डेज के बराबर रोजगार पैदा हुए। राष्ट्रपति कोविंद ने मोदी सरकार के उन कामों को भी गिनाया, जिससे हजारों लोग लाभान्वित हुए। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि करीब 31 हजार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए। इस दौरान देशभर में उज्ज्वला योजना की लाभार्थी गरीब महिलाओं को 14 करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर भी मिले। उन्होंने आगे कहा कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत देश में 1.5 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। इससे इन गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, खर्च होने से बचे हैं। बीते 6 वर्षों में अंडरग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट चिकित्सा शिक्षा में 50 हजार से ज्यादा सीटों की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने 22 नए ‘एम्स’ को भी मंजूरी दी है।