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राजस्व बढ़ाने अब कोचियों का सहारा

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रायगढ़ से सुशील पांडेय की रिपोर्ट
ढाबा में 384 नग देशी शराब मिलना विभाग संदेह के घेरे में
दूसरे राज्य की शराब की बिक्री रोक पाने में आबकारी विभाग नाकाम
रायगढ।
आबकारी विभाग राजस्व बढ़ोतरी करने अब कोचियों का सहारा ले रहे है।एक दिन पहले ढाबा में छत्तीसगढ़ की देशी शराब की 384 नग मिलना विभाग संदेह के घेरे में है।दूसरे राज्य की शराब के आवक को भी रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है।
जिला आबकारी विभाग की कार्यशैली समझ के परे है।एक ओर दूसरे राज्य की विदेशी शराब की बिक्री रोकने के लिए कार्यवाही कर रही है।वहीं छत्तीसगढ़ की देशी शराब की बिक्री को बढ़ाने के लिए कोचियों का सहारा ले रही है।इसका जीता जागता उदाहरण कल देखने को मिला।जहां वेलकम ढाबे में दूसरे राज्य की विदेशी शराब के 4 पेटी मिला।जबकि छत्तीसगढ़ की देशी शराब के 384 नग याने 8 पेटी मिला है।ऐसे में एक ढाबे से इतनी मात्रा में देशी शराब मिलना आबकारी विभाग की कार्यशैली संदेह के घेरे में है।आखिर इतनी मात्रा में देशी शराब उस ढाबा में पहुचा कैसे। बिना विभाग के मिली भगत के ये संभव नही है।हालांकि विभाग खानापूर्ति के लिए ढाबा के कर्मचारी को आरोपी बनाकर उसे जेल दाखिल करा दिया है,लेकिन उस ढाबा में देशी शराब की इतनी संख्या में मिलने के बारे से कुछ भी कहने से बच रही है।क्योंकि इनको राजस्व में बढ़ोतरी जो करनी है।
ढाबा मालिक आबकारी की पकड़ से दूर
आबकारी की टीम ने ढाबा में भारी मात्रा में छत्तीसगढ़ और हरियाणा की शराब जप्त करने हुए एक कर्मचारी को आरोपी बनाया है,लेकिन अभी तक ढाबा मालिक आबकारी के पकड़ से दूर है।क्या आबकारी की टीम ढाबा मालिक सिकन्दर को पकड़ती है या बस एक कर्मचारी आरोपी को बनाकर शांत हो जायेगी।
आखिर किस दुकान की है देशी शराब
वेलकम ढाबा में मिले 384 नग देशी शराब किस दुकान से इतनी मात्रा में बेची गई है।इसकी जानकारी भी सामने नही आई है।जबकि शराब की शीशी में लगे होलोग्राम में अंकित नंबर से पता लगाया जा सकता है कि वो किस परमिट से कौन से दुकान में गया था,लेकिन छत्तीसगढ़ की देशी शराब होने के कारण आबकारी इस मामले में कुछ नही करेगी।
ढाबा की नही होती जांच
आबकारी की टीम जिले में संचालित होटल और ढाबा की जांच के नाम पर महज खानापूर्ति करते है।जिसका फायदा ढाबा और होटल संचालक उठाकर शराब के अवैध कारोबार करते है।