नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह को थामने के साथ नए अध्यक्ष के चुनाव की चुनौतियों का हल निकालने के लिए पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू करने का फैसला किया है। इन बैठकों का सिलसिला 19 दिसंबर से शुरू होगा। पत्र लिखने वाले पार्टी के असंतुष्ट 23 नेताओं में शामिल कुछ नेताओं को भी बातचीत के लिए बुलाया गया है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव में घमासान को थामने के लिहाज से इस पहल को बेहद अहम माना जा रहा है।
कोरोना की शुरुआत के बाद पिछले मार्च से पार्टी नेताओं के साथ सीधे संवाद से परहेज कर रहीं सोनिया ने कांग्रेस में नेतृत्व का झगड़ा सुलझाने के लिए सीधे मेल-मुलाकात का यह फैसला किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार 19 दिसंबर से शुरू हो रही बैठक अगले कुछ दिनों तक चलेगी, जिसमें वरिष्ठ नेताओं और जी-23 गुट के तीन से चार नेताओं को न्योता भेजा गया है। इसके अलावा जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके प्रभारी महासचिवों के साथ किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए कुछ प्रमुख किसान नेताओं को भी बुलाया जा रहा है।
नेताओं के साथ सोनिया के अलग अलग बैठक
इन तमाम नेताओं के साथ सोनिया की अलग-अलग मुलाकातें होंगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख के एलान से पहले सोनिया संगठन चुनाव में उठापटक और विद्रोह जैसी स्थिति थामने के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं को भरोसे में लेने का आखिरी प्रयास करेंगी। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन और संसद का शीत सत्र रद करने के सरकार के फैसले पर भी इस दौरान मंत्रणा होगी।
राहुल को कमान सौंपने की तैयारी
कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जनवरी के आखिर में प्रस्तावित है। पार्टी हलकों से मिले अब तक के संकेतों से साफ है कि राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है। पार्टी चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री संगठन चुनाव में वोट देने वाले एआइसीसी सदस्यों का डाटा बेस और पहचानपत्र लगभग तैयार कर चुके हैं। वहीं असंतुष्ट खेमा राहुल को दोबारा अध्यक्ष बनने से रोकने की रणनीति पर काम कर रहा है।
अंदरूनी कलह को थामने की कवायद
पार्टी के गलियारों में यह चर्चा गरम है कि असंतुष्ट गुट कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में भी है। जी-23 की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा सरीखे नेताओं के साथ सोनिया गांधी की अलग-अलग बातचीत अंदरूनी उठापटक थामने की ही कोशिश होगी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा भी इस समूह के साथ हैं।
तीन महीने से हैं असमंजस
असंतुष्ट गुट ने बीते तीन महीने से नेतृत्व के असमंजस और पार्टी की कमजोर हालत के मुद्दे पर हाईकमान की सिरदर्दी बढ़ा रखी है। बिहार चुनाव में हुई करारी हार के बाद नाराज नेताओं की सक्रियता काफी तेज हो गई है। असंतुष्ट नेताओं की मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से भी पिछले दिनों पार्टी के मौजूदा हालात पर गहन मंत्रणा हुई थी।
सेतु की भूमिका में कमल नाथ
समझा जाता है कि इस चर्चा के दौरान कमल नाथ ने साफ कर दिया कि वे गांधी परिवार के खिलाफ नहीं जाएंगे। मगर कांग्रेस के हित में उनके उठाए सवालों पर नेतृत्व से चर्चा कर रास्ता निकालने की पहल करेंगे। इसके बाद कमलनाथ ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर इस मुद्दे पर मंत्रणा की थी। माना जा रहा है कि असंतुष्ट नेताओं और नेतृत्व के बीच सेतु की भूमिका निभा रहे कमल नाथ के साथ हुई चर्चा के बाद ही सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं से संगठन चुनाव पर सीधी बातचीत का फैसला किया है।