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अक्सर खुद को हीरो और पुलिस को विलेन साबित करने के जुगाड़ में रहते हैं बिलासपुर के विवादित विधायक शैलेश पांडेय…पुलिस के खिलाफ लगातार जहर उगल रहे विधायक की बातों को गृहमंत्री ने नकारा…कभी भूपेश सरकार को देते हैं नसीहत, तो कभी राजनीतिक बेचारा बनने की करते हैं कोशिश..?

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बिलासपुर संभाग/ बिलासपुर के विवादित विधायक के कई बयानों से लगता हैं मानो वे भूपेश सरकार को ही कटघरे में खड़े कर रहे हैं, पहले जब सीवी रमन यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार थे उस पद से इस्तीफा देकर वे कांग्रेस में शामिल हुए उसी दौरान उन पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत कोटा थाने में मामला दर्ज हुआ था, बाद में बिलासपुर के भाजपा नेताओं से उनका विवाद हुआ, फिर बिलासपुर के ही वरिष्ठ कांग्रेसियों से विवाद हुआ, उसके बाद विधायकी काल में कोरोना संकटकाल में अपने निवास में भारी भीड़ इकट्ठी कर लेने पर उनके खिलाफ अपराध दर्ज हुआ। विधायक होने के बाद उन पर हुए अपराध दर्ज पर वे बौखला उठे, और कई तरह के बयान भी उस समय उनके द्वारा दिए गए थे, विधायक शैलेश पांडेय शायद यह समझते हैं कि अब वे विधायक बन गए है तो वे नियम-कानून से ऊपर हो गए हैं यही उनकी गलतफहमी हैं जिसके चलते उनकी बौखलाहट उस दिन दिखी जब बिलासपुर में थाने का उद्घाटन समारोह था उस समय प्रदेश के गृहमंत्री की वर्चुअल मौजूदगी भी थी तब विधायक शैलेश पांडेय बिलासपुर पुलिस के खिलाफ नॉनस्टॉप जहर उगलते रहे और जनता की नजर में पुलिस को विलेन और खुद को हीरो बनाने का हर संभव प्रयास किया परंतु गृहमंत्री शायद विधायक की बौखलाहट को समझ गए और उन्हें तुरंत टोकना पड़ा, पुलिस के खिलाफ भाषणबाजी करते हुए विधायक शैलेश ने भूपेश सरकार कानून व्यवस्था को ही कटघडे में खड़ा कर दिया, जिस पर प्रदेश के गृहमंत्री ने कल बिलासपुर प्रवास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विधायक शैलेश पांडेय के अलावा दूसरे किसी विधायक ने रेट लिस्ट की बात नहीं कही, उन्होंने राज्य में लचर कानून व्यवस्था के सवालों को नकारते हुए स्पष्ट कहा कि कानून व्यवस्था ठीक हैं, पुलिस प्रशासन में रेट लिस्ट जैसा कुछ नहीं होता, विधायक शैलेश पांडेय उन्हें कोई लिखित शिकायत नही दिए हैं और न ही मौखिक रूप से शिकायत करते हुए कुछ बताया हैं गृहमंत्री ने आगे कहा कि किसी अन्य पार्टी ने भी थानों में रेट लिस्ट को लेकर कोई शिकायत नहीं की हैं। गृहमंत्री के इस प्रतिक्रिया से यह तो स्पष्ट हैं कि विधायक शैलेश को कहीं न कहीं भूपेश सरकार और पुलिस से गिला-शिकवा या नाराजगी हैं पर वे ये बात न तो पार्टी में रख पा रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री समक्ष ? तभी तो जब मंच मिला तो वे अपने आपे से बाहर होकर अपने ही सरकार की कानून व्यवस्था को जमकर कोसते रहते हैं। उससे पहले जब लॉकडाउन की अवधि में जब सरकार द्वारा शराब दुकान खोलने का निर्णय लिया गया तो उस समय फिर विधायक शैलेश ने फिर भूपेश सरकार पर सवाल उठाते हुए उन्हें नसीहत देने की कोशिश की थी और प्रदेश शासन के ही मुख्य सचिव से शराब दुकान खोलने के निर्णय पर पुनर्विचार करने कहा गया। उसी प्रकार लॉकडाउन में ही विधायक ने पुलिस के खिलाफ फिर टिप्पणी करते हुए कहा था कि पुलिस का जो काम हैं वो वही करें तो उचित होगा, और पुलिस से लोग डरते हैं और उनसे लोग खाना नहीं लेंगे। ऐसे कई किस्से हैं जिससे आम जनता के साथ -साथ अब नेताओं ने भी कहना शुरू कर दिया हैं कि बिलासपुर के विधायक शैलेश द्वारा सरकार विरोधी गतिविधियों में अपनी भागीदारिता दी जा रही हैं जो सरकार और कांग्रेस पार्टी के लिए उचित नहीं हैं। भाजपा-कांग्रेस के कुछ नेताओं ने दबी जुबान से बताया कि अभी हाल ही में विधायक शैलेश पांडेय स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के काफी करीबी होते भी जा रहे है और माने भी जाते रहे हैं, राज्य में कांग्रेस को जब बहुमत मिला था तब मुख्यमंत्री के तीन प्रबल दावेदार थे जिसमें भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव, इनमें से पार्टी हाईकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया, राजनीतिज्ञों की माने तो एक वजह यह भी हो सकता हैं कि टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री न बनाने से उनके मुख्य समर्थक माने जाने वाले बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय की नाराजगी भूपेश सरकार विरोधी बयानों से झलकती होंगी ? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बिलासपुर विधायक खुद को पाक-साफ बताने का हर संभव प्रयास करते रहते हैं उसी क्रम में वे राजनीतिक बेचारा बनने की भी कोशिश करते रहते हैं जिससे उन्हें सबसे सहानुभूति मिलती रहे भले ही उन्हें खुद के सरकार के प्रशासनिक व कानून व्यवस्था पर उंगली उठाना पड़े, जिसे पार्टी के लिहाज से ठीक नहीं कहा जा सकता।