नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार अहम बिल और अध्यादेश पास कराने में जुटी हुई है तो वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार हमलावर है। ऐसे में अब विपक्ष श्रम सुधार कानूनों का विरोध करने की पूरी तैयारी में है। इनमें से एक औद्योगिक संबंध संहिता में एक प्रावधान जो 300 कर्मचारियों के साथ कंपनियों को संबंधित राज्य सरकार की सहमती के बिना लोगों की छंटनी करने की इजाजत देता है। अब तक ये इजाजत 100 लोगों को रोजगार देने वाली कंपनियों के लिए ही थी।
विपक्ष ने की ये मांग.
इससे पहले केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और व्यावसायिक व स्वास्थ्य सुरक्षा पर तीन कोड पेश किये थे। इसके अलावा चौथा कोड मजदूरी को लेकर है जो पहले ही पास किया जा चुका है। ऐसे में अब ये बिल पुराने श्रम कानूनों को कोड में बदल देगा। वहीं दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि एक नया बिल लाया जाए को मूल संस्करणओँ के स्थान पर हो और पैनल द्वारा नए सिरे से उसकी समीक्षा की जाए।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कही ये बात.
दरअसल, विपक्ष लगातार श्रम सुधारों के मुद्दे पर भारी विरोध दर्जा करा चुका है। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का कहना है कि नए कोड एक महीने के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखे जाएं ताकी उनपर समीक्षा की जा सके। उनका मानना है कि इनमें काफी बदलाव देखे गए हैं। इसके अलावा शशि थरूर ने मांग की है कि सरकार स्थायी समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से स्वीकार कर ले। उन्होंने मंत्री से सवाल किया, इसे अदालत में संवैधानिक चुनौती का सामना करना होगा। क्या आप फिर से न्यायिक जांच चाहते हैं?
इसके अलावा केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने विधेयक को पेश करते हुए कहा, `सरकार ने कोडों के मसौदा चरण के दौरान नौ त्रिपक्षीय परामर्श और 10 अंतर-मंत्रालयी परामर्श आयोजित किए हैं।