नईदिल्ली। सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत विकसित किये जाने वाले रेलवे स्टेशनों के साथ ही 10 से 15 प्रतिशत ऐसे रेलवे स्टेशनों पर भी यात्रियों को उपयोग शुल्क देना होगा जिनका पुनर्विकास नहीं किया जा रहा है। रेलवे ने पिछले दिनों 90 रेलवे स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने की घोषणा की थी। उस समय कहा गया था कि इन रेलवे स्टेशनों पर हवाई अड्डों की तर्ज पर उपयोग शुल्क देना होगा जो हर यात्री के किराये में जोड़ा जायेगा। रेलवे ने अब इसे उन सभी स्टेशनों पर लागू करने का फैसला किया जहाँ यात्रियों की आवाजाही अधिक है या भविष्य में बढऩे की उम्मीद है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि देश में सात हजार रेलवे स्टेशन हैं। इस फैसले के कारण 10 से 15 प्रतिशत स्टेशनों पर उपयोग शुल्क लगाया जायेगा। इस प्रकार देश में सात सौ से एक हजार स्टेशनों पर यात्रियों को यह नया शुल्क देना होगा। रेलवे जल्द ही इसके लिए अधिसूचना जारी करेगा। उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशनों के विकास और वहाँ यात्रियों को अच्छी सुविधा देने के लिए उपयोग शुल्क लगाना जरूरी है। हालाँकि उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि यह शुल्क बेहद कम होगा और इससे आम लोगों पर बोझ नहीं पड़ेगा।
यादव ने बताया कि एक तरफ रेलवे ने 12 क्लस्टरों में 109 मार्गों पर अत्याधुनिक प्रीमियम ट्रेनें चलाने का फैसला किया है तो दूसरी तरफ वह आम लोगों के लिए भी ट्रेनों की संख्या बढ़ायेगी। यह सुनिश्चित किया जायेगा कि रेलवे के विकास का लाभ आम लोगों को भी मिले।
उन्होंने कहा कि रेलवे तेजी से अपने बुनियादी ढाँचों में सुधार कर रहा है। पाँच साल में 13.5 लाख करोड़ रुपये के पूँजी निवेश की योजना है। इसमें निजी कंपनियों को भी शामिल किया जायेगा। रेललाइनों के दुहरीकरण और तिहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है। समर्पित मालवहन गलियारे (डीएफसी) बनाये जा रहे हैं। पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी का काम पूरा होने के बाद दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता मार्गों पर यातायात का बोझ बेहद कम हो जायेगा। इससे प्रीमियम ट्रेनें चलाने के बाद आम लोगों के लिए भी ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की काफी गुंजाइश रहेगी।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने रेलवे के निजीकरण की आशंकाओं को खारिज करते हुये कहा हम रेलवे का निजीकरण नहीं कर रहे हैं, निजी कंपनियों को रेलवे के प्लेटफॉर्म का मौका दे रहे हैं। लीज अवधि समाप्त होने के बाद निजी कंपनियों द्वारा विकसित किये गये स्टेशनों का परिचालन पुन: रेलवे के पास आ जायेगा। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और देश में नयी प्रौद्योगिकी आयेगी। सरकार का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद में रेलवे का योगदान बढ़ाकर डेढ़ से दो प्रतिशत करने का है।
इससे पहले एक प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि एक साल में 50 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए निविदा जारी करने की योजना है। इनकी कुल परियोजना लागत एक लाख करोड़ रुपये होगी। इनमें नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन और मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) समेत 10 स्टेशनों का परिचालन निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नई दिल्ली और सीएसएमटी स्टेशनों की परियोजनाओं की ही लागत तकरीबन 6.6 हजार करोड़ रुपये है।
यादव ने कहा कि रेलवे स्टेशनों का परिचालन लीज पर देने और निजी ट्रेनें चलाने में निवेशकों ने खासी रुचि दिखाई है। आवेदन से पहले आयोजित बैठकों में बड़ी संख्या में संभावित निवेशकों ने हिस्सा लिया। जीएमआर, अडाणी, कल्पतरु पावर जैसी कंपनियों ने भी इन परियोजनाओं में रुचि दिखाई है। कांत ने यात्री परिवहन से राजस्व बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि देश में रेल यात्री किराये पर भारी सब्सिडी दी जाती है। इस कारण रेलवे को मालवहन किराया बढ़ाना पड़ा है जिससे मालवहन के ग्राहक रेल छोड़कर सड़क मार्ग की तरफ भाग रहे हैं। इसलिए यात्री किराया और मालवहन किराये में संतुलन बनाने की जरूरत है।