गरियाबंद। बंदरों की टोली आफ़त का सरमाया होती है, जहां जाते है मुसीबतें खड़ी करते है। लोगों से प्रायः दूर रहने वाले बन्दर आम तौर पर इंसान देख कर भाग जाते है, या आक्रामक हो जाते है। लेकिन गरियाबंद में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और बंदरों की साथ दोस्ती चर्चा में है। इंसान और जानवर की दोस्ती का यह आलम है कि मन के मौजी और बेहद चंचल प्रकृति के बंदर एएसपी के साथ रहते हुए अनुशासित से हो गए हैं।
बेहद चंचल प्रजातियों में बंदर की गिनती होती है, ये जितने चंचल होते हैं अपने बच्चों के प्रति उतने ही संवेदनशील। बंदर अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ते। लेकिन एएसपी सुखनंदन राठौड़ से दोस्ती पर भरोसा कुछ ऐसा है कि बंदर अपने बच्चों को भी सुखनंदन तक पहुँचने देते हैं। सुबह का वक्त हो और दरवाजा खुलने में देर हुई तो बंदर बाक़ायदा दरवाजा खटखटा कर खुलवाते हैं, और शाम को सुखनंदन राठौड़ की गाड़ी का इंतज़ार करते हैं, बंदरों की यह टोली सुखनंदन राठौड़ की गाड़ी भी मुकम्मल पहचानती है।
अपने ट्वीटर अकाउंट में उन्होंने वीडियो पोस्ट किया है जिसमे बन्दर उनके घर के अंदर बैठे है ।उन्होंने बंदरों की टोली को दुलारते हुए कहा “मुझे डेढ़ साल हो चुके, और दोस्ती को एक बरस.. शुरु में धमा चौकड़ी मचाते थे, फिर मैंने इन्हें खिलाना शुरु किया, धीरे से वे अनुशासित हुए, मेरे लिए अनूठा था मगर मैंने पाया कि वे अपने बच्चों को निश्चिंत मेरे पास आने देते हैं.. ये टोली आती है सुबह शाम.. जो दो चुपचाप खाती है.. और फिर चली जाती है.. अब धमाचौकड़ी नहीं करती”