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मुंगेली जिला अब प्रशासनिक रूप से भगवान भरोसे…पूर्व कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे की कार्यशैली और सक्रियता को याद कर रही मुंगेली की जनता…जिला प्रशासन की सुस्ती को लेकर आम जनता में काफी रोष…

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रायपुर/ किसी भी जिले के प्रशासनिक मुखिया में यदि प्रशासनिक क्षमता की कमी हो तो उस जिले का भगवान ही मालिक हैं क्योंकि उस जिले में समस्याओं का निराकरण करना, कार्ययोजना का बेहतर संचालन करना, विकास के प्रति सजग रहना एवं आम जनता से रूबरू होकर उन्हें उनकी समस्याओं से निजात दिलाना, ये सब जिले के प्रशासनिक मुखिया के रूप में जिला प्रशासन/कलेक्टर का दायित्व माना जाता हैं परंतु यदि जिला प्रशासन के अधिकारी सक्रिय न हो तो फिर आम जनता की समस्याओं की सुध कौन ले, क्योंकि आम जनता अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर विभागों और अधिकारियों के चक्कर काटती हैं उसके बाद भी उसका काम नही होने पर आखरी उम्मीद उसे जिले के कलेक्टर से रहती हैं परंतु ये उस जिले के कलेक्टर के सक्रियता और तत्परता पर निर्भर करती हैं कि आम जनता को उनकी समस्याओं से निजात कितनी जल्दी मिलती हैं।
यहाँ पर हम मुंगेली जिले की बात करेंगे जहाँ समस्याओं का अंबार हैं और राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी मुंगेली के विकास और समस्या निवारण से कोई सरोकार नही हैं, जो फरियादी कलेक्टर के पास समस्या लेकर जाते हैं उन्हें कलेक्टर से मिलने घंटो इंतजार करना पड़ता हैं साथ ही जब मिलने का समय आता हैं तो कलेक्टर लंच, बैठक या वीसी के नाम से गायब हो जाते हैं और जो जनता समस्या लेकर कलेक्टर पास जाती हैं उसे निराशा हाथ लगती हैं ऐसे में मुंगेली जिले के जनप्रतिनिधियों और जनता ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे अच्छा तो पूर्व कलेक्टर के समय था, जब भूरे साहब कलेक्टर हुआ करते थे उनके रहते जो व्यक्ति या फरियादी अपनी समस्या या मांग लेकर जाता था उसे वे तुरंत बुलवाकर सम्मान सहित बैठाकर समस्याओं से सम्बंधित विभाग/अधिकारियों से फोन पर तत्काल संपर्क कर आदेश व निर्देश देते थे साथ ही निर्धारित अवधि में कार्य पूरा कर उसकी सूचना सम्बंधित व्यक्ति को देने कहते थे और ऐसा होते भी देखा गया हैं, जैसे ही कुछ मामला कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे के संज्ञान में आता था या लाया जाता था वे तुरंत ही एक्शन लेते हुए अपनी तत्परता का परिचय देते थे, कोरोना संकटकाल में भी उन्होंने लगातार अपनी सक्रियता का परिचय दिया हैं कोरोना संक्रमित मिलने पर तुरंत उस जगह को सील करवा, मरीज का कॉन्टेक्ट हिस्ट्री निकलवा लिया जाता था, परंतु वर्तमान समय में जिला प्रशासन क्या कर रहा ? यह किसी को समझ नही आ रहा ? क्योंकि कुछ दिनों पहले सखी सेंटर के स्टॉफ एवं एक निजी हॉस्पिटल के कुछ स्टॉफ का रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आया हैं और प्राप्त जानकारी के मुताबिक उनमें से एक स्टॉफ का आये दिन कलेक्टर कार्यालय आना जाना रहता था ये बात कलेक्टर कार्यालय के कई शाखाओं के कर्मचारियों ने खुद बताया उसके बाद भी जिला प्रशासन ने संक्रमितों को लेकर कॉन्टेक्ट हिस्ट्री के लिए कोई खास तत्परता नही दिखाई जिससे कर्मचारियों में रोष भी देखा गया, क्योंकि जिस-जिस कक्ष में उस संक्रमित का जाना हुआ था उस कक्ष को तत्काल बंद व सेनेटाइज करना था परंतु दूसरे-तीसरे दिन भी उन कमरों/कार्यालयों में काम जारी रहा। ऐसे कई उदाहरण और कार्य हैं जिसके चलते आम जनता के साथ-साथ जनप्रतिनिधि और नेता भी पूर्व कलेक्टर नरेंद्र भूरे को भूल नही पा रहे, बहरहाल अब देखना यह हैं कि मुंगेलीवासियों को समस्याओं से निजात कब मिल पाता हैं ?

मुंगेली अभी नया जिला है, स्वाभाविक रुप से उसके विकास में तीव्रता होनी चाहिए. कलेक्टर जिले का सबसे बड़ा अधिकारी होता है, प्रशासनिक व मानवीय तौर पर भी इनके निर्णय ऐसे होने चाहिए जो दूरगामी परिणाम देने वाले हों…आम जनता की माने तो मुंगेली जैसे नए जिले में ऐसे कलेक्टर को भेजना चाहिए जिसमें प्रशासनिक क्षमता, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता हो, अब देखना हैं कि मुंगेली के विकास के लिए शासन-प्रशासन क्या करती हैं ?