सुशील आनंद शुक्ला
(लेखक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं)
मुख्यमंत्री के रूप में मात्र 18 महीनों के कार्यकाल में भूपेश बघेल ने जो लोकप्रियता और राष्ट्रीय ख्याति हासिल की है ऐसा दूसरा उदाहरण विरला ही मिलेगा।भूपेश बघेल के व्यक्तित्व का ठोस पहलू उनकी जुझारू प्रवित्ति है ।जो लक्ष्य निर्धारित कर लिया फिर उससे पीछे हटने की उनकी तासीर नही है।
उनकी सहजता और परिस्थितयो से निपटने का सकारात्मक नजरिया ही उनकी सफलता के सबसे बड़े कारण हैं।
2014 में जब उन्हें प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौपी गयी तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी थी ।तीनो ही विधान सभा चुनाव कांग्रेस बहुत नजदीकी मुकाबले में लक्ष्य से चूकी थी ।2013 के विधान सभा चुनाव की हार पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अप्रत्याशित थी । मई 2013 में जीरम नक्सल हमले में शीर्ष नेताओं की शहादत के 6 माह बाद हुए विधानसभा चुनावो की इस हार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओ निराश और हताश कर दिया था ।प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भूपेश बघेल को विरासत में इन्ही हताश निराश कार्यकर्ताओ की फौज मिली थी । अध्यक्ष बनने के बाद निराश कार्यकर्ताओ की फौज की ताकत को एक नई ऊर्जा में बदल कर लक्ष्य की ओर अग्रसर करना उनके सामने बड़ी चुनौती थी ।
जुझारू प्रवित्ति का नेता होने के कारण उन्हें यह भी भली भांति मालूम था कि कार्यकर्ताओ की ऊर्जा बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि उनके साथ रोज नए मुद्दे ले कर मैदान में डटा रहा जाए ।उनका कहना था भले ही हम चुनाव हार गए है लेकिन प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर उतना ही भरोसा जताया है जितना की सत्तारूढ़ भाजपा पर अतः जनहित की लड़ाई में जरा भी कोताही नही बरतना है, यही कारण था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्भालने के दस दिन के अंदर ही उन्होंने राशन कार्ड घोटाले के मुद्दे को ले कर पूरी कांग्रेस पार्टी को प्रदेश भर के थानों में ला खड़ा किया ।कोई कल्पना भी नही कर सकता था कि कुछ महीने पहले तीसरी बार चुनाव हार चुका दल इतना भी आक्रमक हो सकता है।
अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की खरीद फरोख्त के बाद भूपेश बघेल यह समझ गए थे कि बाहरी मोर्चे के साथ पार्टी के अंदर भी दोनों मोर्चो पर बराबरी की लड़ाई लड़ना है । उन्होंने अजीत जोगी और उनके पुत्र को पार्टी से बाहर निकालने का जो निर्णय लिया वह राजनैतिक प्रेक्षकों के लिए आश्चर्य जनक था इस निर्णय के साथ राजनैतिक विश्लेषक भी दो मतों में बंट गए कुछ का कहना था जोगी को कांग्रेस से निकाल कर कांग्रेस ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार लिया दूसरा मत था जो मानता था कांग्रेस ने सत्ता प्राप्ति का अपना मार्ग प्रशस्त कर लिया।भूपेश बघेल का कहना था हमने तीन चुनाव उनके साथ लड़ा एक उनके बिना भी लड़ कर देख लेते है ।ऐसा साहस भूपेश जैसे जिगर वाला नेता ही दिखा सकता था।
दिसम्बर 2018 में मुख्यमंत्री बनने के तीन घण्टे के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने और 2500 रु में धान खरीदी का निर्णय ले कर भपेश बघेल ने साफ संकेत दे दिया था कि उनकी सरकार की प्राथमिकता में खेती ,गांव गरीब और किसान रहने वाले है ।
कुशल प्रशासक के नाते उन्होंने राज्य के चहुमुखी विकास की ओर ध्यान दिया ।सरकार की योजनाओं के केन्द्र में भले ही किसान और गांव हो लेकिन राज्य की औद्योगिक और व्यापारिक प्रगति में किसी भी प्रकार की बाधाएं नही आये इसके लिये उन्होने पूरे इंतजाम किए ।उद्योगों की जमीन फ्री होल्ड करने के साथ उद्योगों को बिजली पानी की उपलब्धता के साथ फूड और खाद्य पदार्थ आधारित उद्योगों के लिए विशेष योजनाएं बनवाया । 5 डिसमिल तक जमीनों की बन्द रजिस्ट्री को शुरू करना , भूमि की कलेक्टर गाइड लाइन में कमी, जमीनों के डायवर्सन के नियमो में ढिलाई देने के लिए भूपेश बघेल जैसी ही समग्र दृष्टि चाहिए।
18 महीनों की सरकार में अपने घोषणा पत्र के 36 में 22 वायदे पूरा कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी वायदों को पूरा करने की वचन बद्धता को दिखाया है।
नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना तथा गौ धन न्याय योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की समग्र ग्राम्य विकास की सोच को प्रदर्शित करता है।
वे कहते है पिछली सरकार के विकास के मायने बड़ी बड़ी अट्टालिकाएं बनाना था हमारे विकास के केंद्र में आम आदमी का शशक्ति करण है ।बड़े बड़े भवन बना कर आप विकास का दिखावा तो कर सकते है लेकिन जब तक हम आम आदमी को शसक्तीकरण नही करेंगे उनके रोजगार की दिशा में ध्यान नही देगे सही मायने में हम विकास से दूर रहेंगे यही कारण है छत्तीसगढ़ सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 2500 से बढ़ा कर 4000 रु कर दिया। 32लघुवनोपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने की शुरुआत की गई ।केंद्र सरकार के लाख अवरोध के बाद के धान उत्पादक किसानों को 2500 रु मूल्य मिले इसके लिए योजना बनाया गया।राज्य बहुफसली कृषि की ओर बढ़े इस हेतू राजीव गांधी न्याय योजना में मक्का ,गन्ना ,दलहन उत्पादक किसानों के साथ सीमांत और भूमि हीन किसानों की सशकक्तीकरण पर जोर दिया गया। गो धन न्याय योजना में गोबर खरीदने की जो अभिनव योजना उन्होंने शुरू की तब वैचारिक रूप से कांग्रेस के चिर विरोधी रास्ट्रीय स्वयम सेवक संघ के पदाधिकारी भी इसकी तारीफ करने से खुद को रोक नही पाए मुख्यमंत्री निवास उनका अभिनन्दन करने पहुच गए। धमतरी के कंडेल से गांधी जी की याद में पद यात्रा निकाल कर उन्होंने स्प्ष्ट सन्देश दिया कि उनकी सरकार गांधी जी के आदर्शों पर चलने वाली है ।नरवा गरवा घुरवा बाड़ी उन्होंने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था तब भी विपक्षी उनके इस योजना के निहितार्थ को नही समझ पाए थे। जब उन्होंने गो धन न्याय योजना शुरू की तब आरएसएस जैसा घोर कांग्रेस विरोधी संगठन भी यह समझ गया कि भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को साकार करने को जो बीड़ा उठाया है इसकी सफलता में सन्देह की कोई गुंजाइश नही ।
श्री राम वन गमन मार्ग संरक्षण से ले कर कौशल्या माता मंदिर के सौंदर्यीकरण ,के साथ छत्तीसगढ़ी तीज त्योहारों को मुख्यमंत्री निवास में मनाने की परंपरा शुरू कर भूपेश बघेल ने साबित कर दिया कि उनका अपनी संस्कृति और माटी से कितना नजदीकी जुड़ाव है तथा एक राजनेता के नाते वे जन समुदाय की नब्ज टटोलना वे बेहतर जानते है।
मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल सही मायने में कांग्रेस की रीतिनीति के असली ध्वज वाहक के रूप में सामने आए हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में और उसके पहले 2018 के विधानसभा चुनावों राहुल गांधी ने अनेको जन सभाओ में जनता के सामने कांग्रेस की सरकारों का जो विजन प्रस्तुत किया था भूपेश बघेल उस विजन को साकार रूप देने में पूरी तन्मयता से जुटे हुए है,2019 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार नही बनने से राहुल जिस न्याय योजना को देश मे नही लागू करवा पाए भूपेश बघेल उस न्याय योजना को विभिन्न स्वरूपो में छत्तीसगढ़ में लागू करने में सफल हो रहे हैं।