रायपुर/ मुंगेली में एक परंपरा रही हैं कि शासन-प्रशासन द्वारा या तो बहुत सीधे-साधे अधिकारियों को मुंगेली भेजा जाता हैं या तो अक्सर विवादों में रहकर अपने कर्तव्य की परवाह किये बिना केवल कमीशन से मतलब रखने वाले अधिकारियों को भेज दिया जाता हैं, और अपने पदस्थ कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी से वह लाखों-करोड़ों रुपये समेट लेता हैं। वर्तमान समय मे मुंगेली एक राजनीतिक अखाड़े के साथ-साथ प्रशासनिक अखाड़ा भी बन गया हैं जिसके चलते मुंगेली विकास से कोसों दूर है। मुंगेलीवासियों ने बताया कि मुंगेली में अफसरशाही हावी होने के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा, क्योंकि भ्रष्ट और कमीशनखोर अधिकारियों की दलाली और जीहुजूरी से कुछ नेता और जनप्रतिनिधि बाज नही आ रहे, ऐसा लगता हैं मानों उन्हें जनता और विकास कार्यो से कोई सरोकार नही, वे भी अधिकारियों के कमीशन पर निर्भर हैं क्योंकि भ्रष्ट और कमीशनखोर अधिकारी जिस कमीशन पर घर का राशन भरने आतुर रहता हैं उसी कमीशन के टुकड़े से मुंगेली के कुछ छुटभैये नेता भी अपने घर का राशन भरते हैं, मुंगेलीवासियों ने आगे कहा कि ये मुंगेली का दुर्भाग्य हैं कि लापरवाह, कमीशनखोर और विवादित अधिकारियों के कारण मुंगेली की सुध लेने वाला कोई नही हैं मुंगेली के नेता और जनप्रतिनिधि भी भ्रष्ट और कमीशनखोर अधिकारी के रंग में खुद को रंगते चले जा रहे हैं जिन्हें भी मुंगेली की जनता कभी माफ नही करेगी। साथ ही मुंगेलीवासियों ने बताया कि मुंगेली जिले में कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जो मंत्री के करीबी होने का हवाला देते हुए काफी अकड़ते रहते हैं। अब इसमें कितनी सच्चाई हैं यह तो जांच का विषय हैं। बहरहाल राज्य शासन एवं सत्तापक्ष के नेताओं को चाहिए कि ऐसे भ्रष्ट, कमीशनखोरों की सूची बना मुंगेली से तत्काल हटाना चाहिए।