नयी दिल्ली। बिहार में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच बार-बार विपक्ष द्वारा इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को टालने की बात कही जा रही थी, लेकिन अब इस पर विराम लग गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनिल अरोड़ा ने सभी आशंकाओं पर विराम लगा दिया है।
सुनील अरोड़ा ने सोमवार को दोहराया कि बिहार में चुनाव तय समय पर होंगे, पोलिंग पैनल कोविड -19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयारियां कर रहा है। अरोड़ा ने कहा कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, और चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी इन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव को तय वक्त पर करवाने के लिए चुनाव आयोग, राज्य और जिला प्रशासन तैयारियां कर रहा है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान सामाजिक दूरी का ख्याल रखा जाए इसके लिए एक बूथ पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या एक हजार तय कर दी गई हैं। जबकि अभी ये आंकड़ा 1500 है। बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त ने राज्य के लिए 33,797 अतिरिक्त पोलिंग बूथ बनाने का फैसला किया है। इसकी वजह से बिहार में एक बूथ पर औसत वोटरों की संख्या 985 से घटकर 678 हो जाएगी। इसके अलावा बिहार को अलग से ईवीएम और वीवीपैट मुहैया कराए गए हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) सहित बिहार के अन्य राजनीतिक दलों ने राज्य में चुनाव को स्थगित करने के लिए मतदान पैनल से आग्रह किया था। लोजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि इस समय चुनाव कराकर लाखों लोगों की जान जोखिम में डालना उचित नहीं है।
कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी रविवार को कहा था कि बिहार की मौजूदा स्थिति विधानसभा चुनाव के लिए अनुकूल नहीं है। लगातार बढ़ रहे कोरोना महामारी के मद्देनजर सिंह ने कहा कि उनका मानना है कि लोगों की सुरक्षा को सर्वोपरि महत्व दिया जाना चाहिए।
चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने पर राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे थे। जिसके लिए आयोग द्वारा पहले 31 जुलाई की समय सीमा तय की गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 11 अगस्त कर दी गई थी। बिहार में वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। राज्य में 28 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर राष्ट्रपति शासन लग जाएगा।