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भगवान बुद्ध को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान, भगवान बुद्ध दोनों देशों की साझा विरासत

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नई दिल्ली। भगवान बुद्ध के जन्म स्थल को लेकर नेपाल सरकार द्वारा अकारण विवाद खड़ा किए जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भगवान बुद्ध भारत और नेपाल दोनों देशों की साझा विरासत है। यह प्रमाणित तथ्य है कि उनका जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के शनिवार को व्यक्त किए गए विचारों को इस रूप में पेश किया था कि मानों वह भगवान बुद्ध का जन्म स्थल भारत बता रहे हैं।
उद्योग व्यापार संगठन (सीआईआई) के संवाद में जयशंकर से यह पूछा गया था कि वह किन दो व्यक्तियों को भारत की सबसे बड़ी विभूति मानते हैं। इस पर विदेश मंत्री ने भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का नाम लिया था। नेपाल के विदेश मंत्रालय को विदेश मंत्री का यह कथन नागवार गुजरा और रविवार को उसने इस संबंध में आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर दी। नेपाल ने कहा कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्य से यह प्रमाणित है कि गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। यह स्थल बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है तथा संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया है।
वक्तव्य में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वर्ष 2014 में नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि नेपाल वह देश है जहां शांति के दूत भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। वक्तव्य में आगे कहा गया कि यह सही है कि कालांतर में बौद्ध धर्म का प्रचार नेपाल के बाद दुनिया के अन्य देशों में हो गया। यह सब तथ्य विवाद से परे हैं और इन पर बहस की कोई गुंजाइश नहीं है और पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इन तथ्यों से अवगत है। नेपाल के इस वक्तव्य के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त प्रतिक्रिया में कहा कि भगवान बुद्ध भारत और नेपाल की साझा विरासत है और उनका जन्म स्थल नेपाल के लुंबिनी में हुआ था।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री खड़क प्रसाद शर्मा ओली ने भगवान राम के जन्म स्थल को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भगवान राम नेपाल के बीरगंज के पास एक गांव में जन्मे थे। उन्होंने यह भी कहा था कि भगवान राम भारतीय नहीं बल्कि नेपाली हैं।