रायपुर/ जिले बनने के बाद से ही मुंगेली जिला भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है, इसमें किसी एक विभाग या किसी एक अधिकारी, कर्मचारी को नहीं गिना जा सकता बल्कि मुंगेली जिले में भ्रष्टाचार का एक जाल सा बिछा हुआ है जहां केवल आम जनता और सरकारी योजनायें ही फंसकर दम तोड़ती है। शासन के रूप्यों का दुरूपयोग किस प्रकार किया जाता है ये मुंगेली के भ्रष्ट अधिकारियों एवं नेताओं से सीखें, परंतु जब भ्रष्टाचार के खेल में विभागों और अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो तो ऐसे में भगवान ही मालिक है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में 3-4 माह पूर्व मुंगेली थाना सिटी कोतवाली में एक शिकायत पत्र किया गया था शिकायत पत्र में कहा गया था कि छत्तीगढ़ शासन के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर अभिषेक अग्रवाल, प्रोपाईटर अभिषेक टेंट हाउस द्वारा सौंपे गये शासकीय कार्यो में वित्तीय अनियमितता किये जाने की शिकायत दर्ज कर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की गई थी और बताया गया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का दिनांक 28 अगस्त 2019 को कृषि उपज मंडी प्रांगण मुंगेली में जल आर्वधन योजना का भूमिपूजन कार्यक्रम आयोजित था, इस कार्यक्रम में अभिषेक अग्रवाल द्वारा 88,36,876.00 बिल पेश किया गया और 15 अगस्त 2019 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम मुंगेली में 15 अगस्त समारोह आयोजित किया गया था जिसमें अभिषेक टेंट हाउस द्वारा 11,85,138.00 रूप्ये का बिल प्रस्तुत किया गया। जिसमें अभिषेक अग्रवाल को दोनों कार्यक्रमों का भुगतान 96,21,133 रूप्ये का भुगतान दिनांक 28.02.2020 को चेक के माध्यम से किया गया, शिकायत में यह कहा गया कि 15 अगस्त समारोह में वास्तविक खर्च 3 लाख और जल आर्वधन योजना के भूमिपूजन कार्यक्रम में वास्तविक लागत 5 लाख होनी चाहिये परंतु लोनिवि के अधिकारियों एवं ठेकेदार द्वारा किया गया कार्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं भादवि के अपराध के अंतर्गत आता है जिसके तहत शिकायतकर्ता ने मुंगेली थाने से प्रथम सूचना दर्ज कर, आवश्यक जांच कर दोषियों को दंडित करने की मांग की गई थी। शिकायतकर्ता की शिकायत पत्र प्राप्त करने आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा जनसूचना अधिकारी एसपी कार्यालय में दिनांक 19.05.2020 को सूचना के अधिकार के तहत शिकायत पत्र की प्रति, जारी किये गये नोटिस एवं कार्यवाहियों की जानकारी मांगी गई, उक्त आवेदन को जनसूचना अधिकारी एसपी मुंगेली द्वारा दिनांक 26.05.2020 को जनसूचना अधिकारी प्रभारी थाना मुंगेली को सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 6(3) के तहत अंतरित कर दिया गया, उसके बाद थाना प्रभारी सिटी कोतवाली मुंगेली के द्वारा दिनांक 28.05.2020 को आवेदक को पत्र भेज कहा गया कि उक्त सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1) के प्रावधानों के तहत दिया जाना संभव नही है। उसके बाद आवेदक द्वारा एसपी कार्यालय एवं कोतवाली में सिटी कोतवाली द्वारा भेजे गये इस पत्र का प्रत्युत्तर देते हुये कहा गया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के जिस धारा 8(1) का उल्लेख थाना प्रभारी ने किया वह संशययुक्त है क्योंकि धारा 8(1) में 10 उपखंड क्रमशः (क से ञ) तक है थाना प्रभारी द्वारा किस उपखंड का हवाला देकर जानकारी देने मना किया गया इसका स्पष्ट उल्लेख नही किया गया। जानकारों का कहना है कि जब कोई भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत की जाती है तो वह गोपनीय नही रह जाता क्योंकि किसी भी विभागीय कार्य, निर्माण, मरम्मत सहित अन्य कार्यो में जनता का ही पैसा लगा रहता है और वह जनसाधारण की जानकारी में रहने योग्य है। सिटी कोतवाली में सूचना के अधिकार के तहत दिनांक 18.07.2020 को एक निर्धारित समय-सीमा के शिकायतों की जानकारी मांगी गई उसके बाद सिटी कोतवाली थाना प्रभारी ने पुनः सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1) के प्रावधानों का हवाला देकर कर फिर जानकारी देने आनाकानी की जा रही है। जिससे कोतवाली पुलिस स्वयं संदेह के दायरे में आ रही है, जब यह मामला जनता के बीच पहुँचा तो कई लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामलें में ऐसा प्रतीत हो रहा हैं मानो कोतवाली पुलिस टेंट घोटाले के आरोपियों को बचाने में लगी हुई हैं, और हो सकता हैं इसमें लंबी रकम की लेनदेन मामले को दबाने किया जा सकता हैं, बहरहाल आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा एसडीओपी के पास प्रथम अपील करने की बात की गई है।