नई दिल्ली। भारतीय सशस्त्र बलों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है। सोमवार को फ्रांस के इस्त्रेस एयरबेस से पांच राफेल लड़ाकू विमान भारत के लिए उड़ान भरेंगे। इन विमानों को भारतीय वायुसेना के पायलट उड़ाएंगे और ये रीफ्यूलिंग के लिए संयुक्त अरब अमिरात के अल धाफरा एयरबेस पर रुकेंगे।
पांचों राफेल विमान 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते इन पांचों विमानों की तैनाती चीन सीमा विवाद के मद्देनजर की जाएगी। ये पांच विमान भारत और फ्रांस के बीच हुई 36 विमानों के समझौते की पहली खेप है। अबतक वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। कुछ और अपने प्रशिक्षण के उन्नत चरण में हैं।
भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते के अनुसार, दोनों देशों को कुल 36 वायुसेना पायलटों को फ्रेंच एविएटर्स द्वारा राफेल लड़ाकू जेट पर प्रशिक्षित किया जाना है। जहां अधिकांश वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में प्रशिक्षित किया जाएगा, वहीं कुछ भारत में अभ्यास करेंगे। खास बात ये है कि इन विमानों को भारतीय पायलट ही उड़ाकर लाएंगे। पहली खेप में भारत को 10 लड़ाकू विमान डिलीवर किए जाने थे लेकिन विमान तैयार न हो पाने की वजह से फिलहाल पांच विमान भारत पहुंचेंगे।
दो जून को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ले के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि फ्रांस में कोरोना वायरस महामारी के बावजूद भारत को राफेल विमान की डिलीवरी की जाएगी। ये विमान अपने साथ कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं।
चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच राफेल विमान का भारत पहुंचना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे भविष्य में राफेल विमानों की डिलीवरी में तेजी आने की आशंका है। वायुसेना अधिकारियों ने कहा कि राफेल विमानों के आने के बाद वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में और वृद्धि होगी। बता दें कि भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।