नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी नूराकुश्ती जारी है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सचिन पायलट को राहत दी और फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग लेकर राज्यपाल से मिलने पहुंचे। उनके साथ उनके समर्थक विधायक भी थे जो राज्यपाल द्वारा सत्र बुलाए जाने का ऐलान न करने की स्थिति में राजभवन में भी धरने पर बैठ गए। इस सब के बीच राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा कि राजस्थान सरकार गिराने का भाजपाई षड्यंत्र साफ़ है। राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए।
राहुल गांधी से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर निशाना साधा था। सिब्बल ने कहा कि आप सिर्फ 20-25 विधायकों के समर्थन के साथ एक राज्य के मुख्यमंत्री नहीं हो सकते। सिब्बल ने कहा, आप जनता के सामने पार्टी को तमाशा नहीं बना सकते।
सिब्बल ने पूछा, मैं सचिन से पूछना चाहता हूं, क्या आप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं? हमें बताएं? विरोध क्यों? अगर आप कहते हैं कि आप भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं, तो आप हरियाणा में क्यों बैठे हैं? आप कांग्रेस की बैठकों में क्यों नहीं आए? क्या तुम अपनी अलग पार्टी बनाना चाहते हो? जो भी हो, लेकिन तुम्हे सामने आकर अपनी बात रखनी चाहिए, होटल के अंदर मत बैठे रहो।
बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज जल्द से जल्द
विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की और राजभवन में चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया। गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केंद्र सरकार के दबाव में
बहुमत परीक्षण को रोक रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी है, जिन्होंने विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर राज्यपाल पर दबान बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, हमने उनसे कल एक पत्र में सत्र बुलाने का अनुरोध किया और हमने पूरी रात इंतजार किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्पीकर पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहा है। वहीं सचिन पायलट खेमे की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल किए जाने की बात सामने आ रही है, जिसमें यह कहा गया है कि राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई करने से पहले हमारा पक्ष सुना जाए।